Friday, 4 September 2020

गजल---हौसले की बात कर...

जिन्दगी  तूँ  हारने की न बात कर
अभी हौसले में दम है हौसले की बात कर।

चक्रवात उठे या तूफान डर के जीना क्या
हमें संघर्षों की आदत है संघर्षों की बात कर।

तिमिर आक्छादित हो भले ही गगन में
अवसान इसका भी होगा इंतज़ार की बात कर।

नाउम्मिदियों के सैलाब में तैरते पत्ते को देखतें हैं
आज में जीना आता है खुशनुमा आज की बात कर।

काफ़िला दर्द का चेहरे पे आके गुज़र जाता है
जब्त करते है मुस्कुराहटों से,खिलखिलाने की बात कर।

अवसादों और तन्हाइयों से उकताने की न बात कर
जीवन में होरहेे प्रहार को हिम्मत से झेलने की बात कर।।


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                                    उर्मिला सिंह



12 comments:

  1. सुन्दर और सारगर्भित।
    शिक्षक दिवस की बहुत-बहुत बधाई हो आपको।

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  2. डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी!आपको भी शिक्षक दिवस की ढेरों बधाई।

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  3. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (०६-०९-२०२०) को 'उजाले पीटने के दिन थोड़ा अंधेरा भी लिखना जरूरी था' (चर्चा अंक-३८१६) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनिट्स जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 07 सितम्बर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति
    कैसा भी समय हो उसे एक न एक दिन बीत जाना ही है

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    1. हार्दिक धन्यवाद कविता जी।

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  6. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी हमारी रचना को साझा करने के लिए।

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  7. द‍िल न‍िचोड़ के रख द‍िया इस रचना ने क‍ि...काफ़िला दर्द का चेहरे पे आके गुज़र जाता है
    जब्त करते है मुस्कुराहटों से,खिलखिलाने की बात कर।...वाह

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    1. बहुत बहुत आभार आपका अलकनन्दा सिंह जी

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  8. सार्थक सकारत्मक सृजन

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    1. हरफिक धन्यवाद हिन्दीगुरु जी।

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