गुरु की महत्ता....
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मातृ कोख से जब बच्चे ने जन्म लिया
माता की शिक्षा का तब से प्रारम्भ हुआ
प्रथम गुरु ,माता दुग्ध पान करना जिसने....
बच्चे को अपनी स्निग्ध ममता से सिखलाया ।।
प्रथम पाठशाला सबकी घर होती
जहां संस्कारों की शिक्षा मिलती
बचपन की आधार शिला सुदृढ़ हो...
इसी लिए आदर सम्मान की घोटी देती।।
दूजे शिक्षक पाठशाला में मिलते
शिक्षा दे कर जीवन सुरभित करते
सर्वागीण विकास का मंत्र फूकते जीवन में...
जीवन के अंधेरों में प्रकाश बन राह दिखाते।।
स्वयम् से स्वयम का परिचय करवाते
आत्म विश्वास की ज्योति जला कर
जग में संघर्षों से लड़ना सीखलाते
बलिदान, त्याग का पाठ पढ़ा कर
देश पर मर मिटने का भाव जगाते।।
कर्म करे जो धर्म संगत,होता वही महान
गुरु देव की शिक्षा से मिलता है यह ज्ञान
प्रकाश पुंज गुरु को नमन सदा करते...
जिनका संचित ज्ञान हमे नित प्रेणना देते।
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उर्मिला सिंह
गुरु के स्तवन में सुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ReplyDeleteजी।