Tuesday, 8 September 2020

चेहरे की झुर्रियां......

मुफ्त में अनुभव जिन्दगी ने दिया नही 
पत्थरों की तरह घिस घिस के सिखाया है !!

चेहरी की झुर्रियाँ कहती जिसे दुनिया
जिम्मेदारियों की तपन से तप के पाया है !!

हौसला हार माना नही ,आज भी जवाँ है
तूफानों को हरा हौसलों ने जगह पाया है

गेसुओं में चमकती चाँदनी उम्र-ए खिताब नही
अनगिनित ख़्वाबों को जला कर के चमकाया है!!

                      🌷उर्मिला सिंह






 
 
 

18 comments:

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    1. शुक्रिया अनिता सुधीर जी

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  2. हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी

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  3. बहुत सुंदर सृजन दी उम्र का ठहराव अनुभव का विस्तार।
    सुंदर।

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    1. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम।

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 09 सितंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी,हमारी रचना मो शामिल करने के लिए।

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  5. बहुत सुंदर रचना दी।

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    1. स्नेहिल धन्यवाद अनुराधा जी

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    1. बहुत बहुत आभार आपका सुशील कुमार जोशी जी।

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  7. हृदय स्पर्शी सृजन दी ।
    बहुत ही सुंदर।

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    1. प्रिय अनिता सैनी जी हार्दिक धन्यवाद आपका।

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  8. आदरणीया उर्मिला सिंह जी, नमस्ते! बहुत अच्छे शेर हैं। खासकर यह शेर:
    गेसुओं में चमकती चाँदनी उम्र-ए खिताब नही
    अनगिनित ख़्वाबों को जला कर के चमकाया है!! साधुवाद!
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    सादर!--ब्रजेन्द्रनाथ

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    1. हार्दिक धन्यवाद श्रीमान ब्रजेंद्रनाथ जी।

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  9. अनगिनत ख्वाब टूटते हैं तो एक पूरा होता है ...
    बहुत लाजवाब शेर ...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया दिगम्बर नासवा जी।

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  10. बहुत सुंदर सृजन

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