Thursday, 8 October 2020

यादें....

आज यादों की वीणा  झंकृत  होगी तेरी 
याद आएंगे गुजरे जमाने बिताये थे हमने कभी !!

 सागर किनारे  लहरों को देखोगे जब तुम!
 गुनगुनाओगे गीत जो गाये थे हमने कभी!

आवाज यादों को दोगे कभी तो, हमारे!
एहसासों का धागा बाँधे थे हमने कभीे!!

चन्द लम्हों के लिये मिले थे जिन्दगी से ,
चाँदनी में शबनम से नहाये थे हमनेे कभी!!

 खिलेंगे फूल यादों की वादियों में सदा!
 प्यार की खुशबू से जन्नत बनाये थे हमने कभीं !!
                    ****0****
                          #उर्मिल






10 comments:

  1. वाह दी लाजवाब दिल ko.छू गईं पन्क्तियाँ आज यादों की वीणा झंकृत हो गईं .....तार तार बज उठा साँझ सुहानी हो गईं ....❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ 👏👏👏👏👏👏👏👍👍👍👍

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  2. स्नेहिल धन्यवाद आपको।

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  3. हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी।

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१०-१०-२०२०) को 'सबके साथ विकास' (चर्चा अंक-३८५०) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  5. हार्दिक धन्यवाद अनिता सैनी जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

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    1. हार्दिक धन्यावद सुशील कुमार जोशी जी।

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  7. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद शिवम कुमार पाण्डेय जी ।

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