Saturday, 10 October 2020

यादों की आंख मिचौली.....

यादों की आंख मिचौली
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यादों  की आंखमिचौली
फूलों की मीठी चितवन।
नभ की छिटकी दीवाली
पागल हुआ बिचारा मन।।

फैला अपने मृदु स्वप्न पंख
नीद उड़ी क्षतिज के पार।
अधखुले दृगों के मधु कोष-में
किसने  उड़ेल दिया खुमार।।

रोम रोम में बासन्ती छाई
उर सागर में लहरे लहराईं।
तम पर विजय पताका...
सूरज की किरणों ने फैलाई।।

अभिलाषाओं का सुनहला पन
झिलमिला रहा विस्तृत गगन ।
देख रही हँस -हँस मीठी चितवन
पुलकित  मन, रंग भरा जीवन ।।

                 उर्मिला सिंह

4 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 12 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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