ज़मीर की ज़मीन बंजर होगई आजकल
उसूलों की तामील दीजिये तो बात बने।।
रिश्तों की क्यारी में रेत ही बाकी बची रोने को
इसमें स्नेह के फूल खिले तो बात बने।।
रूप बदला चाँद ने भी अनेकों गगन में
पर चाँद की शीतलता याद रहे तो बात बने।।
रूबरू आईने के होते ही नकाब उठ जाती
ये सच्चाई गर समझ आजाये तो बात बने।।
बरस रही है तीरगी चहुंओर आजकल
उजालों की कोई बात करे तो बात बने।।
अपनी ढपली अपना राग अलापते सभी हैं
देश के विकास में सहयोग की बात करे तो बात बने।।
उर्मिला सिंह
वाह।
ReplyDeleteरिश्तों की क्यारी में रेत ही बाकी बची रोने को
ReplyDeleteइसमें स्नेह के फूल खिले तो बात बने।।
वाह!!!
क्या बात...
बहुत ही लाजवाब।
अंतस्तल से धन्यवाद सुधा जी।
Deleteवाह !बेहतरीन आदरणीय दी।
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनिता जी।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार मान्यवर ।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteहार्दिक आभार आपका उषा किरण जी
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