Sunday, 25 October 2020

गज़ल

तूफानों में जो जल सके वो चिराग लाओ
हरसू अंधेरा ही अंधेरा  है उजाले लाओ !!

मजहब के छालों से जख़्मी तन मन होरहा
हो सके तो मोहब्बत के भरे  प्याले लाओ!!

शब्दो के बाण चल रहे दिल के टुकड़े हो रहे
 प्यार से ,मौन  हुवे होठों  की  आवाजें  लाओ !!

 भरम पाले  बैठें  हैं  ख़ुशबुओं  को कैद करने का
 ‎दिले -गुलशन में हुनर खुशबू फैलाने  के लाओ!!

इश्क मोहब्बत की चर्चा लिखने में मशगूल रहे
भूख से तरसते बचपन को रोटी के निवाले लाओ।

महलों  के साज सज्जा के दीवाने तो सभी होते
पानी से भींगती जिन्दगी के लिए ठिकाने लाओ।।
                ********0*******
                 उर्मिला सिंह


 
 ‎
 ‎

13 comments:

  1. मोहब्बत के भरे प्याले लाओ!!
    वाह!दी बहुत ही सुंदर।

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार तथा धन्यवाद आपका डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी।(मयंक)जी।

      Delete
    2. प्रिय कुसुम स्नेहिल धन्यवाद आपका।

      Delete
  2. महलों के साज सज्जा के दीवाने तो सभी होते
    पानी से भींगती जिन्दगी के लिए ठिकाने लाओ।।

    क्या बात!
    बहुत सुंदर

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद साधु चन्द्र जी।

      Delete
  3. प्रातः नमन के साथ आपका आभार मेरी रचना को शामिल करने के लिए।

    ReplyDelete
  4. Replies
    1. आभार विकास नैनवाल'अंजान'जी।

      Delete
  5. बेहतरीन ग़ज़ल दी

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनुराधा चौहान जी।

      Delete
  6. आभार आपका डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री जी हमारी रचना को साझा करने के लिए।

    ReplyDelete
  7. आदरणीया उर्मिला सिंह जी, नमस्ते👏!बहुत सुंदर गजल! ये पंक्तियां बहुत अच्छी लगीं:
    शब्दो के बाण चल रहे दिल के टुकड़े हो रहे
    प्यार से ,मौन हुवे होठों की आवाजें लाओ !!
    --ब्रजेन्द्रनाथ

    ReplyDelete