नारी अस्मिता पर चोट कब तक???
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जीवन उपवन इतना सूना क्यों है
राहों पर इतना सन्नाटा क्यों है
सहमी सहमी डरी डरी कलियां ....
उजालो के घर अँधेरा क्यों है।।
जिस देश में कन्या पूजी जाती है
नारी गृहलक्ष्मी की उपाधि पाती है
जहाँ गंगा के सम सकल वश्व में जल नही
वहां नरभक्षी दैत्यों से अपमानित होती है।।
कागज के पन्नों पर कानून लिखे रह जाते हैं
नेताओं के वादे वोटों तक सीमित रह जातें हैं
सहन शक्ति की भी सींमा होती है नेताओं सुन लो
जनता न्याय करेगी जब रोक नही पाओगे सुन लो।।
हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
फिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
इंसानियत,नैतिकता का पाठ क्या तुमने पढ़ा नही
समस्त नारी आज आप सभी से पश्न यही करती है।।
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उर्मिला सिंह
हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
ReplyDeleteफिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
इसी सवाल का जबाब तो नही मिलता उर्मिला दी।
हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
ReplyDeleteफिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
इसी सवाल का जबाब तो नही मिलता उर्मिला दी।
आभार आपका ज्योति देहलीवाल जी!सत्य कहा आपने पश्न का उत्तर नही मिलता परन्तु कलम का काम है पूछना,तथा नारी जागरण करना।
Deleteसोचने को विवश करती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी
Deleteआभार आपका मीना भरद्वाज जी हमारी रचना को साझा करने के लिए।
ReplyDeleteसोच कर ही रह जाते हं सब,समाधान किसी के बस का नहीं.
ReplyDeleteजी सही कहा आपने परन्तु कलम तो अपना धर निभाएगी। आभार आपका।
Deleteसूना, विश्व, इन्सानियत ठीक कर लें। सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteजी हार्दिक धन्यवाद मान्यवर ।
ReplyDeleteकागज के पन्नों पर कानून लिखे रह जाते हैं
ReplyDeleteनेताओं के वादे वोटों तक सीमित रह जातें हैं
सहन शक्ति की भी सींमा होती है नेताओं सुन लो
जनता न्याय करेगी जब रोक नही पाओगे सुन लो।।
बेहतरीन रचना आदरणीया दी।
हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा चौहान जी।
Deleteअच्छी रचना। सादर।
ReplyDeleteआभार आपका मीना शर्मा जी।
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ReplyDeleteप्रभावशाली लेखन - - नमन सह।
हार्दिक आभार आप का ।
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