Wednesday, 28 October 2020

नारी अस्मिता पर चोट कब तक?

नारी अस्मिता पर चोट कब तक???
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    जीवन उपवन इतना सूना क्यों है
    राहों  पर  इतना  सन्नाटा  क्यों है
    सहमी सहमी डरी डरी कलियां  ....
    उजालो के घर अँधेरा  क्यों है।।

    जिस देश में कन्या पूजी जाती है
    नारी गृहलक्ष्मी की उपाधि पाती है
    जहाँ  गंगा के सम  सकल वश्व में जल नही
    वहां नरभक्षी दैत्यों से अपमानित होती है।।

कागज के पन्नों पर कानून लिखे रह जाते हैं
नेताओं के वादे वोटों तक सीमित रह जातें हैं
सहन शक्ति की भी सींमा होती है नेताओं सुन लो
जनता न्याय करेगी जब रोक नही पाओगे सुन लो।।

हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
फिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
इंसानियत,नैतिकता का पाठ क्या तुमने पढ़ा नही
समस्त नारी आज आप सभी से पश्न यही करती है।।
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                उर्मिला सिंह
 




16 comments:

  1. हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
    फिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
    इसी सवाल का जबाब तो नही मिलता उर्मिला दी।

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  2. हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
    फिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
    इसी सवाल का जबाब तो नही मिलता उर्मिला दी।

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    1. आभार आपका ज्योति देहलीवाल जी!सत्य कहा आपने पश्न का उत्तर नही मिलता परन्तु कलम का काम है पूछना,तथा नारी जागरण करना।

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  3. सोचने को विवश करती सुन्दर रचना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी

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  4. आभार आपका मीना भरद्वाज जी हमारी रचना को साझा करने के लिए।

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  5. सोच कर ही रह जाते हं सब,समाधान किसी के बस का नहीं.

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    1. जी सही कहा आपने परन्तु कलम तो अपना धर निभाएगी। आभार आपका।

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  6. सूना, विश्व, इन्सानियत ठीक कर लें। सुन्दर सृजन।

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  7. जी हार्दिक धन्यवाद मान्यवर ।

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  8. कागज के पन्नों पर कानून लिखे रह जाते हैं
    नेताओं के वादे वोटों तक सीमित रह जातें हैं
    सहन शक्ति की भी सींमा होती है नेताओं सुन लो
    जनता न्याय करेगी जब रोक नही पाओगे सुन लो।।
    बेहतरीन रचना आदरणीया दी।

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा चौहान जी।

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  9. अच्छी रचना। सादर।

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    1. आभार आपका मीना शर्मा जी।

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  10. प्रभावशाली लेखन - - नमन सह।

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  11. हार्दिक आभार आप का ।

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