Wednesday 14 October 2020

एक सोच ......

मन की सोच जो अनायास उभरती है भाओं में......
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अनायास मन में सोच उभरती है.....
क्या विध्वंसकारी विचारों पर अंकुश लगेगा?
क्या नेताओं को देश विरुद्ध बोलने का लाइसेंस मिला है?
सामान्य नागरिक के लिए कानून है तो उनके लिए क्यों नही ?
यह अन्धेर अब ज्यादे दिन नही टिकेगा.......
इस अंधेरी रात का उजास होगा....
परन्तु न बसें जलेंगीं न पटरियां उखड़ेंगी
न दुकाने जलेंगीं न हिंसा भड़केगी
प्रत्येक ब्यक्ति के ह्रदय में देशभक्ति का ज्वार उठेगा
एक सैलाब जनसमूह का  उमड़ेगा......
सभी की आत्मा देश की आत्मा बन जगेगी......
जिसमे न कोई उच्च होगा न कोई नीचा
रोशनी अहंकारियों के द्वारा नही अपने आप होगी
न  पर्चियां छपेगी न कोई दावे करेगा  ......
अन्धेरे को हरा कर सूरज से पहले विश्वास का प्रकाश होगा
न आंतक होगा न नफ़रत का बाज़ार होगा
कभी गुलामी की जंजीर टूटी थी.......
उसी तरह से अंधकार को जनमानस का विश्वास तोड़ेगा
 चारो ओर प्रकाश ही प्रकाश होगा 
 एक दिन-----वह दिन आएगा ----आएगा......

                 उर्मिला सिंह
   

13 comments:

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    1. आभार रूपचन्द्र शास्त्री जी।

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    1. ह्रदय से आभार मान्यवर आपका।

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रतिभा जी।

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  4. हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी मेरी रचना को मंच पर शामिल करने के लिए।

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  5. हार्दिक धन्यवाद गगन शर्मा जी।

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  6. काश शीघ्र आये वह दिन...
    बहुत सुन्दर सृजन।

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  7. हौसलेमंद सुन्दर सृजन

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