मत देना अधिकार है जनता का,बाकी नेताओँ पर छोड़ो सरकार बनेगी छल बल से या कैसे नेताओँ पर छोड़ों!
पांच साल बाद नतमस्तक नेता वादों की झड़ी लगायेंगे रोयेंगे गिड़गिड़ायेंगे गिरगिट सा रंग दिखाएंगे पर छोड़ो!
ईमान उसूल सब गिरवी रख देंगे कुर्सी पाने को नेता
आदर्शों को बेच तोल मोल से सरकार बनायेगे पर छोड़ो!
विचारों में साम्य नहीं, कितने दिन टिक पायेगी सरकारें साथ रहेंगे गन्धर्व सुर गायेंगे,खूब तमाशे होगे पर छोड़ो!
भोलीजनता का दे हवाला कौन किसे देता धोखा समझो
मुँह मे राम बगल में छुरी,एक थाली के सट्टे बट्टे पर छोड़ो!
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उर्मिला सिंह
बहुत अच्छा लिखती हैं आप! बधाई और आभार।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी
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