Sunday, 24 November 2019

हकीकत......

हकीकत की कठोर...... धरती पर हम 

अपने बिखरे सपने....... समेट रहें हैं

आज कल हम.....  अपने अपनों का  

खोया हुआ अपनापन .... ढूढ़ रहे हैं! 
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           उर्मिला सिंह 
  

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