Thursday, 7 November 2019

मौन...... साँस में प्रार्थना मौन है सृष्टि के संग मुस्कराना भी मौन है.....

वाणी को ही नही
मन को मौन होने दो
लेखनी को ही नही
शब्दों को मौन होने दो!

मौन की मुस्कान....
कुछ और गहरी होने दो
अन्तर्मन में चलते द्वंद को .
मौन सागर में प्रवहित होन दो!

ह्रदय - तम आलोकित
सरल स्वच्छ हो जाने दो
मौन - साधना मे लिप्त मन 
को सरल प्रवाह में बहने दो...! 

मौन  ह्रदय  तट से 
शत रंगी शब्द पुष्प झरने दो 
अन्तर्मन के मौन गूंज से 
जीवन को सुर ताल से सजने दो! 

      उर्मिला सिंह 







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