Wednesday, 1 January 2020

नववर्ष खड़ा है....

खुशियों का खज़ाना लिए नव वर्ष खड़ा है... 
 उम्मीदों का चमन  लिए नव वर्ष खड़ा है... 

बीते पलों को मन के कोने में छुपा के, 
नव संकल्पों से मन को सजा के, 
जिन्दगी में आगे बढ़ते रहें.... 
थके नहीं रुके नहीं
निरन्तर कदम आगे बढ़ते रहे ! 


नव वर्ष अपनी बाहें पसारे खड़ा है.... 
आने वाले दिनों को बेहतर बनाने खड़ा है! 

गुज़रे दिनों की त्रुटियों से सीख ले, 
कुछ ऐसा जतन करें.... 
न हो नफरत दिलों में किसी के.. 
ज़न ज़न को जागृत करें..... 

है आव्हान यही आज नव वर्ष का.....
नई भोर, नव आश लिए नव वर्ष  खड़ा है !

अब न हो मौत सस्ती.. 
राखी के धागे न टूटे किसी के... 
चूड़ियों की खनक सलामत रहे... 
माँ से बेटा  जुदा हो न कभी... 
संबन्धों की नई मिसाल कायम करे! 

मतभेदों को भुला, नव वर्ष का स्वागत करें.. 
दे रहा यही संदेश, नव वर्ष बाहें पसारे खड़ा है ! 

देश की हिफाज़त करना है कर्तव्य सबका.. 
सत्य अहिंसा  ही धर्म हो भारत में सबका.. 
नव निर्माण, नव विकास में सहयोग हो... 
खुशहाली से भरा आपना भारत देश हो! 

इसी सपने को साकार करना है अब हमें .... 
मिल जुल कर नव वर्ष का अभिनन्दन करना है हमें! 

वतन के ख़ातिर जिएं, वतन के ख़ातिर मरें... 
ये ज़ज्बा हो  दिलों में सभी भारतियों के.... 
नया भोर है, नया वर्ष है, 20,20 का दम दिखाएगा.. 
हर्षोल्लास के राग रंग में भारत अपना दम दिखाएगा!

फ़िज़ाओं में मोहब्बत ही मोहब्बत की खुशबू होगी... 
यही उपहार देने नव वर्ष बाहें पसारे खड़ा है !! 

                                            .. उर्मिला सिंह 










3 comments:

  1. " खुशियों का खजाना लिए नव वर्ष खड़ा है...."
    बहुत मनमोहक रचना...
    अद्भुत...

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  2. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)

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