साँस की सरगम पर गीत है जिन्दगी की
बज रही है धुन कभी खुशी कभी गम की!
मायूसियों से घबड़ाना क्या ,कांटों से डरना क्या
खोज वो ठिकाना जहाँ चिंता न हो गम की!
अजनबी से ख्वाब मेरे हँस रहे आज मुझ पर
क्या पता था उजालों में छांव मिलेगी ग़म की!
जिन्दगी देके भी नहीं चुकते जिन्दगी के कर्ज कुछ
पर वक्त बैठा कर रहा इशारा सुरमई शाम के ग़म की !
है न अज़ीब सी बात इस मुई जिन्दगी की.....
अश्क आँखों में अधर पे गान जिन्दगी के नज़्म की!!
"पर वक़्त बैठा कर रहा इशारा सुरमई शाम के गम की !"
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लाइने ...
खूबसूरत ग़ज़ल की संरचना ---
वस्तुस्थिति को बड़ी बेबाकी दे बयाँ करती हुई....
खूबसूरत
ReplyDeleteहार्दिक धन्य वाद अनिता _सुधीर जी
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