Friday, 24 January 2020

एक तीली माचिस की........

एक तीली चिन्ता की
ख़ाक करती जिन्दगी
धुंआ उठता है....... 
आँखों में चुभता है.... 
अश्क बन आँखों से बहता.... 
एक तीली चिन्ता की...... 

एक तीली माचिस की 
जला कर दीपक..... 
उजास करता..... 
आरती के थाल में सजता 
आध्यात्म की लौ से 
मन ऊर्जा से ओतप्रोत करता 
एक तीली माचिस की..... 

एक तीली ईर्षा द्वेष की 
जलती सुख शान्ति जलाती 
वातारण दूषित करती 
दुर्गन्ध फैलाती..... 
ख़ुद जलती दूसरों को जलाती 
एक तीली ईर्ष्या की...... 

एक तीली संयम की..... 
सुगन्ध फैलाती...... 
प्रकाश उष्णता से...... 
तन मन सराबोर कर देती 
संयम की अग्नि में जल कर 
मन निर्मल पवित्र हो जाता 
एक तीली संयम की....... 

एक तीली देशभक्ति की..... 
जब भावों में जलती 
जिन्दगी गौड हो जाती 
देश प्रेम का जुनून उबाल लेता 
रक्त की शिराओं में देशभक्ति की 
झनकार बजती........ 
एक तीली देशभक्ति की...... 
      ****0****
                                 उर्मिला सिंह 





 

9 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना दी भाव और शब्द संयोजन बेहद सार्थक संदेश प्रेषित कर रहे।
    सादर।

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    1. हार्दिक धन्य वाद प्रिय श्वेता

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  2. अत्यंत सराहनीय रचना,बधाई....

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  3. जलती तीली से मनुष्य को भी सबक लेना चाहिए कि वह अपनी उर्जा को कहाँ व्यय करे।
    श्रेष्ठ सृजन।

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    1. हार्दिक धन्य वाद मान्यवर

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  4. आपके ब्लॉग का अनुसरण कहांँ से करें ?

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
    २७ जनवरी २०२० के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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    1. रचना को साझा करने के लिए शुक्रिया आपका

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