आंखों से निकलती चिंगारियां..ह्रदय में जल रही ज्वाला,
भारत मां के सपूत तुम्हारा फन कुचलने के लिए तैय्यार हैं।
गरजते शेर के सामने,अपनी हस्ती मिटाने चीन तुम आगये
भारत मां के सपूत ,तेरी अर्थी बिछाने के लिए तैय्यार हैं।।
ओ फरेबी !गलवन से आंखे हटा लेह लद्दाख हमारा है।
भारत तेरी दम्भ की शिला को गलाने के लिए तैय्यार है।।
कमतर समझने की भूल मत करना ये आज का भारत है
भारत का कणकण तुम बौनो को धूल चटाने के लिए तैय्यार है।।
यहां की मिट्टी राणा प्रताप,पृथ्वीराज की कहती कहानी है
देश की रक्षा हेतु देशवासी जान हथेली पर लिये तैय्यार है।।
बता देंगे हिन्द के सिपाही कि आग से खेलोगे तो फ़ना होंगे
ऊँची पहाड़ियों खून से रंगोली बनाने के लिए तैय्यार हैं।।
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जै भारत जै हिन्द
उर्मिला सिंह
श्वेता जी हमारी रचना को "पांच लिंको का आनन्द"पर साझा करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteवाह!शानदार ,ओजपूर्ण रचना ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुभा जी।
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteबहुत ही लाजवाब ओजपूर्ण सृजन।
हार्दिक धन्यवाद सुधा जी
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