Monday, 1 June 2020

सतरंगी दुनिया से नाता तोड़ चले......

सपनों की दुनियाँ से चल लौट चले,
 अब चाँद सितारों से नाता तोड़ चले!

 पश्नों की अनबूझ पहेली है ये जीवन,
 उलझे सुलझे मोह के धागे तोड़ चले!

मौन की  भाषा  समझ सका ना कोई,
भावों का दर्द  छुपाये मुखडा मोड़ चले!

सतरंगी दुनिया सतरंगी  हैं लोग यहाँ,
 दिल का अश्कों से नाता जोड़ चले!

कब होगा इन गलियों में फिर आना
हँस कर सब रिस्ता नाता  छोड़ चले!

                            # उर्मिल




5 comments:

  1. सुन्दर रचना...
    सतरंगी दुनियाँ से नाता तोड़ चले....💐💐

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  2. अच्छी रचना है ... अच्छे छंद ...
    नाता तोडना इतना आसान नहीं होता ... दिल में दर्द रह जाता है ...

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    1. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर।

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  3. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी

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  4. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा जी।

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