सपनों की दुनियाँ से चल लौट चले,
अब चाँद सितारों से नाता तोड़ चले!
पश्नों की अनबूझ पहेली है ये जीवन,
उलझे सुलझे मोह के धागे तोड़ चले!
मौन की भाषा समझ सका ना कोई,
भावों का दर्द छुपाये मुखडा मोड़ चले!
सतरंगी दुनिया सतरंगी हैं लोग यहाँ,
दिल का अश्कों से नाता जोड़ चले!
कब होगा इन गलियों में फिर आना
हँस कर सब रिस्ता नाता छोड़ चले!
# उर्मिल
सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसतरंगी दुनियाँ से नाता तोड़ चले....💐💐
अच्छी रचना है ... अच्छे छंद ...
ReplyDeleteनाता तोडना इतना आसान नहीं होता ... दिल में दर्द रह जाता है ...
हार्दिक धन्यवाद मान्यवर।
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय अनुराधा जी।
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