माँ तो सांसों में जीवन के हर पल में होती
माँ का कोई मुख्य दिन भी होता है ,
ये तो अता पता ही नही था मुझको....
हर दिन हमको तो माँ का दिन लगता है ।
उनके चरण स्पर्स जब जब करते थे ,
दुवाओं के पुष्प सदा हम पर गिरते थे
माँ के ममतामयी हथेलियों का स्पर्श
आज भी मन पल-पल अनुभव करता हैं ।
यादों के दिव्य कोष में माँ नाम अमर रहता है
उनकी मीठी-मीठी झिड़कियां सुनने को ,
आज भी कान हमारे तरसा करते हैं ।
उनके हाथो के पकवानों की खुशबू को..
अब उनकी यादों में हम ढूँढा करते है ।
माँ के पास थी नही डिग्रियां कोई
पर उनसा शिक्षक मिला न कोई ।
तीन बच्चों की माँ हूँ,पर आदर्श उन्ही का-
बच्चों को,जीवन में सिखालाती आई !
माँ में रामायण गीता , माँ में तुलसी माला,
माँ के चरणों में हरिद्वार,काशी और मथुरा !
माँ ममता की सागर , माँ में ही परम् मोक्ष ,
चरणों में नतमस्तक रहेगा सर्वदा मन मेरा
यह सच है तुम देती नही मुझे दिखाई -पर
तेरे दिए संस्कार जिंदा हैं मुझमें आज भी
शाम को देहरी पर दीपक जलाना याद सदा रहता
तेरे पार्थना के स्वर गूँजते 'माँ' कानों में आज भी।।
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उर्मिला सिंह
ReplyDeleteमाँ में रामायण गीता , माँ में तुलसी माला,
माँ के चरणों में हरिद्वार,काशी और मथुरा !
माँ ममता की सागर , माँ में ही परम् मोक्ष ,
चरणों में नतमस्तक रहेगा सर्वदा मन मेरा
वाह... जीतना बखानिये उतना कम है ।माँ का कोई सानी नहीं।
शुक्रिया सुधा सिंह जी।
Deleteमाँ में रामायण गीता , माँ में तुलसी माला,
ReplyDeleteमाँ के चरणों में हरिद्वार,काशी और मथुरा ! बेहद खूबसूरत रचना दी 👌
स्नेहिल धन्यवाद प्रिय अनुराधा जी।
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteआभार सचिन जी।
Deleteमाँ की ममता आगे सब कुछ तुच्छ लगता है ..बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
ReplyDeleteशुक्रिया मीना भारद्वाज जी
Deleteमाँ की ममता का बेहद सुंदर चित्रण ,सादर नमन
ReplyDeleteसुन्दर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर
Deleteक्षमा चाहती हूँ आमंत्रण में मैंने दिनांक गलत लिख दिया हैं ,आज 12 -5 -2020 की प्रस्तुति में आपका हार्दिक स्वागत हैं। असुविधा के लिए खेद हैं।
ReplyDeleteशाम को देहरी पर दीपक जलाना याद सदा रहता ... बहुत खूब उर्मिला जी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अलकनन्दा जी
Deleteकामनी जी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
ReplyDeleteवाह मां में रामायण गीता
ReplyDeleteसुंदर सृजन
बहुत सुंदर।
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