अरे रामा बुंदिया गिरै चहुंओर..
भींजत मोरि अंगिया रे हरी..
छैल छबीला बदरा...गरजे
तिरछी नजरिया बिजुरी चमके
अरे रामा पपीहा बोले सारी रात
बदरिया कारी रे हरी....।।
झूम रही फूलन की डाली..
बुंदिया बिखरे पाती-पाती..
अरे रमा रिमझिम बरसे मतवाली
बदरिया कारी रे हरी ........।।
नाचत मोर पंख फैलाये...
सारी रात कोयलिया गाये...
अरे रामा मनवाँ लहर लहराई
बदरिया करी रे हरी......।।
ताल तलैया लेत अगड़ाई...
धानी चुनरिया धरा मुस्काई...
अरे रामा सूझे न साँझ,भिनसारी
बदरिया कारी रे हरी .......।।
अरे रामा बुंदिया गिरे चहुंओर
भीजैे मोरी सारी रे हरी......।।
उर्मिला सिंह
बहुत सुन्दर भोजपुरी कजरी गीत की संरचना ....
ReplyDeleteइसे मिर्जापुरी ,अवधी , बघेलखंडी ,
कजरी रागों में संगीत बद्ध किया जा सकता है और गाया जा सकता है...
हार्दिक शुभकामनाएं...
वाह!बहुत खूबसूरत कजरी गीत उर्मिला जी ।
ReplyDeleteसराहना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद शुभा जी।
Deleteयशोदाजी! हार्दिक धन्यवाद हमारी रचना को साझा करने के लिए।
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ReplyDeleteनमस्ते,
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 16 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपकी रचना की पंक्ति-
"ताल तलैया लेत अंगड़ाई..."
हमारी प्रस्तुति का शीर्षक होगी।
शुक्रिया रविन्द्र जी हमारी रचना को साझा करने के लिए।
Deleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर।
Deleteसुरीली मदमाती कजरी
ReplyDeleteबधाई
सराहना के लिए शुक्रिया पम्मी जी
Deleteवाह!बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी .
ReplyDeleteसादर
स्नेहिल धन्यवाद अनिता सैनी जी।
Deleteखूबसूरत कजरी गीत
ReplyDeleteआभार आपका।
Deleteअरे रामा सूझे न साँझ,भिनसारी
ReplyDeleteबदरिया कारी रे हरी .......।।
बहुत ही सुंदर रचना का सृजन हुआ है। सावन संयोती इस रचना हेतु साधुवाद आदरणीया।
बहुत बहुत शुक्रिया पुरुषोत्तम सिन्हा जी।
Deleteलोकभाषा का सुंदर मनभावन श्रृंगार सृजन दी मौसम के अनुरूप मोहक मनहर ।
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम।
Deleteबेहद खूबसूरत कजरी।सखी ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुजाता प्रिया जी।
Deleteवाह ! उर्मि दीदी , बहुत प्यारी कजरी है | सावन में लोकरंग से ही रंग हैं |
ReplyDeleteस्नेहिल धन्यवाद प्रिय रेणू।
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