Tuesday, 14 July 2020

सावन की कजरी.....

अरे रामा बुंदिया गिरै चहुंओर..
भींजत मोरि अंगिया  रे हरी..
          छैल छबीला बदरा...गरजे
          तिरछी नजरिया बिजुरी चमके
          
अरे रामा  पपीहा बोले सारी रात
बदरिया कारी रे हरी....।।

        झूम रही फूलन की डाली..
        बुंदिया बिखरे पाती-पाती..
          
अरे रमा रिमझिम बरसे मतवाली
बदरिया कारी रे हरी ........।।

             नाचत मोर पंख फैलाये...
             सारी  रात कोयलिया गाये...
             
 अरे रामा मनवाँ लहर लहराई 
 बदरिया करी  रे हरी......।।
 
               ताल तलैया लेत अगड़ाई...
               धानी चुनरिया धरा मुस्काई...
               
  अरे रामा सूझे न साँझ,भिनसारी
  बदरिया कारी रे हरी .......।।

अरे रामा बुंदिया गिरे चहुंओर 
भीजैे मोरी सारी रे हरी......।।

                    उर्मिला सिंह
                 


        
               


          

22 comments:

  1. बहुत सुन्दर भोजपुरी कजरी गीत की संरचना ....
    इसे मिर्जापुरी ,अवधी , बघेलखंडी ,
    कजरी रागों में संगीत बद्ध किया जा सकता है और गाया जा सकता है...
    हार्दिक शुभकामनाएं...

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  2. वाह!बहुत खूबसूरत कजरी गीत उर्मिला जी ।

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    1. सराहना के लिये बहुत बहुत धन्यवाद शुभा जी।

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  3. यशोदाजी! हार्दिक धन्यवाद हमारी रचना को साझा करने के लिए।

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  4. नमस्ते,

    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में गुरुवार 16 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!


    आपकी रचना की पंक्ति-

    "ताल तलैया लेत अंगड़ाई..."

    हमारी प्रस्तुति का शीर्षक होगी।

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    1. शुक्रिया रविन्द्र जी हमारी रचना को साझा करने के लिए।

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    1. हार्दिक धन्यवाद मान्यवर।

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  6. सुरीली मदमाती कजरी
    बधाई

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    1. सराहना के लिए शुक्रिया पम्मी जी

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  7. वाह!बहुत ही सुंदर सृजन आदरणीय दी .
    सादर

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    1. स्नेहिल धन्यवाद अनिता सैनी जी।

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  8. खूबसूरत कजरी गीत

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  9. अरे रामा सूझे न साँझ,भिनसारी
    बदरिया कारी रे हरी .......।।

    बहुत ही सुंदर रचना का सृजन हुआ है। सावन संयोती इस रचना हेतु साधुवाद आदरणीया।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया पुरुषोत्तम सिन्हा जी।

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  10. लोकभाषा का सुंदर मनभावन श्रृंगार सृजन दी मौसम के अनुरूप मोहक मनहर ।

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    1. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम।

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  11. बेहद खूबसूरत कजरी।सखी ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुजाता प्रिया जी।

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  12. वाह ! उर्मि दीदी , बहुत प्यारी कजरी है | सावन में लोकरंग से ही रंग हैं |

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  13. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय रेणू।

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