नित्य सबेरे लिया करो, परमात्मा का नाम
कष्ट हरेंगे प्रभु तम्हारे ,मत भूलो तुम इंसान।।
पूजा पाठ से ज्यादा ,उत्तम होता शुभ कर्म
संदेश यही है धर्म का ,यही है गीता मर्म!!
मीठी बोली बोल के ,दिल सबका लो जीत
चन्द दिनो के पाहुन हो, कर लो सबसे प्रीत !!
ये जगत नाटक मंच है,हम सब हैं अदाकार
स्वांग तेरा देख रही, ऊपर से सरकार।।
उर्मिला सिंह
सच इस नश्वर संसार में अपने सतकर्म ही यहीं रहते हैं बाकी कुछ नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद कविता रावत जी।
Deleteअगर दोहे लिखे हैं तो ये दोहे नहीं हैं।
ReplyDeleteकिसी अच्छे दोहाकार को गुरू बनाइए।
हार्दिक धन्यवाद मान्यवर बताने के लिए।
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