कभी सड़कों पे हंगामा कहीं नफरत की आवाजे,
तुझी से पूछती भगवन इंसानी संस्कृति क्या है!
किसी के टूटते ख्वाब कोई सिसकीयों को रोकता
जो आदी है उजालों के उन्हें मालूम नही तीरगी क्या है!
दौलत,ओढ़न दौलत,बिछावन दौलत जिन्दगी जिसकी ,
वो क्या जाने भूखे पेट सोने वालों की बेबसी क्या है!!
सीना ठोक कर जो देश भक्त होने का अभिमान करते
वही दुश्मनों का गुणगान करते,बताओ मजबूरी क्या है!!
तोहमत ही तोहमत लगाते एक दूसरे पर हमेशा
कभी आईने से पूछो तुम्हारे चेहरे की सच्चाई क्या है!!
उर्मिला सिंह
हार्दिक धन्यवाद रविन्द्र सिंह यादव जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।
ReplyDeleteआपके प्रश्न वाजिब हैं ...
ReplyDeleteदेश समाज में कुछ लोगों पर फ़र्क़ ही नहीं पड़ता इन बातों का ...
हर बंध कमाल है आपका ...
हार्दिक धन्यवाद दिगम्बर नासवा जी सराहना के लिए।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (29-07-2020) को "कोरोना वार्तालाप" (चर्चा अंक-3777) पर भी होगी।
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी
Deleteहमारी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए।
तोहमत ही तोहमत लगाते एक दूसरे पर हमेशा
ReplyDeleteकभी आईने से पूछो तुम्हारे चेहरे की सच्चाई क्या है!!
बहुत उम्दा सृजन दी ।
लाजवाब।
स्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम।
Deleteदौलत,ओढ़न दौलत,बिछावन दौलत जिन्दगी जिसकी ,
ReplyDeleteवो क्या जाने भूखे पेट सोने वालों की बेबसी क्या है!!
वाह!!!
क्या बात...
बहुत ही सुंदर।
हार्दिक धन्यवाद सराहना के लिए आपका सुधा
ReplyDeleteजी।
सुंदर और सामयिक रचना...💐💐
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सिंह साहब आपका।
Deleteआ उर्मिला सिंह जी, बहुत अच्छी रचना। हर बंद सशक्त और सटीक! ये पंक्तियाँ लाजवाब हैं:
ReplyDeleteतोहमत ही तोहमत लगाते एक दूसरे पर हमेशा
कभी आईने से पूछो तुम्हारे चेहरे की सच्चाई क्या है!!--ब्रजेन्द्रनाथ
ह्रदय तल से धन्यवाद मान्यवर सराहना के लिए आपके शब्द हमारे लिए प्रेणना है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना दी 👌
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी।
Deleteदौलत,ओढ़न दौलत,बिछावन दौलत जिन्दगी जिसकी ,
ReplyDeleteवो क्या जाने भूखे पेट सोने वालों की बेबसी क्या है!!
गहन चिंतन
आभार आपका मान्यवर।
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