Monday, 20 July 2020

सावन गीत.....



सावन के गीत ,गाँव में सावनी कजरी  पेड़ों की डाली ,झूले सभी करौना की मार से पीडित उदास खड़े एक दूसरों को गमगीन नजरों से देख रहें हैं। 

इन्ही भावों के साथ एक छोटी रचना प्रस्तुत है.......

गरजत बरसत बदरा आये             
मेघ मल्हार ....सुनाये
सनन -सनन पवन बहे
रिस रिस जिया रिसाये
कल-कल नदिया धुन छेड़े
सावन मधुर-मधुर गाये।।

बैरी करौना  दुश्मन हो गई
सूनी हो गई झूले की डाली
कजली ,तीज सूनी भई
त्योहारों पर छाई उदासी
मन ही मन सोच रहे नर नारी
जीवन में कैसी विषम घड़ी आई।।
  🌳🌳☘️☘️🌿🌿
                       उर्मिला सिंह

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 21 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

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  2. हार्दिक धन्यवाद डॉ. रूपचंद्र शास्त्री जी हमारी रचना को चर्चा में शामिल करने के लिए।

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  3. कजरी की मोहकता सावन की पहचान जो कोरोना में कहीं सिमट बैठी है।
    बहुत सुंदर सृजन है दी ।
    उत्तम।

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    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिय कुसुम।

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  4. बहुत बढ़िया

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    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी।

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  5. हार्दिक धन्यवाद प्रिय कुसुम।

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  6. बहुत ही सुंदर सराहनीय अभिव्यक्ति आदरणीय दी ।
    सादर

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  7. हार्दिक धन्यवाद प्रिय अनिता जी।

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