Saturday, 4 July 2020

वीर रस की रचना...छेड़ो मत शेरों को .......

छेड़ो मत शेरो को दहाड़ सुन कर मर जाओगे ,
यहां शौर्य से अग्नि बरसती है भष्मीभूत हो जाओगे।
मित्र बन कर भारत आये कुदृष्टि डालते पावन धरती पर,
धोखेबाजी नस नस में तेरे पैरों से कुचले जाओगे।।

 बड़बोली बन्द करो कीड़े मकोड़े खाने वालों,
 मानवता के दुश्मन तुम करोंना  फैलाने वालों।
 विस्तारवाद की नीति तुम्हारी तुमको ही ले डूबेगी,
 गलवान हमारा है हमारा रहेगा नापाक इरादे वालों।।

  
  देश की सम्प्रभुता से समझौता कायर  करते हैं,
  हिन्द के वासी राणा के वंसज जान न्योछावर करते हैं।
  दोस्तो के दोस्त हैं हम दुश्मन के काल बन जाते है,
 आँख दिखाने वालों की आंख निकाला लिया करतें हैं।।
  
 चीन तूने!आरम्भ देखा है प्रचण्ड वेग अभी बाकी है,
 प्रबल वेग से खनेकेगी जब तलवारे धङकन रुक जाएगी।
 धरती से अम्बर तक गूँजेगा जब हर-हर महादेव का नारा,
 तेरे लहू की प्यासी,माँ भारती की प्यास बुझाई जाएगी।।
                             
                             ****0****
                                   उर्मिला सिंह
                                               
 
  
   
   
   

  






 
 
 



  

 
 


 




10 comments:

  1. वाह! बेहतरीन सृजन।बहुत ओजपूर्ण।

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  2. सुन्दर प्रस्तुति

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  3. राणा के वंशज....
    बहुत सुंदर रचना...
    वीर रस और ओजस्वी ...
    सामयिक ...
    💐💐

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  4. वाह बहुत सुंदर रचना दी

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी

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  5. चीन तूने!आरम्भ देखा है प्रचण्ड वेग अभी बाकी है,
    प्रबल वेग से खनेकेगी जब तलवारे धङकन रुक जाएगी।
    धरती से अम्बर तक गूँजेगा जब हर-हर महादेव का नारा,
    तेरे लहू की प्यासी,माँ भारती की प्यास बुझाई जाएगी।
    वाह!!!
    बहुत ही प्रेरक जोशपूर्ण लाजवाब सृजन।

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  6. मन के सभी भाव देश के दुश्मनों के प्रति गहरी नफरत और देशवासियों में वीरता को आह्वान करती ओजमय अभिव्यक्ति।

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  7. हार्दिक धन्यवाद प्रिय कुसुम।

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