छेड़ो मत शेरो को दहाड़ सुन कर मर जाओगे ,
यहां शौर्य से अग्नि बरसती है भष्मीभूत हो जाओगे।
मित्र बन कर भारत आये कुदृष्टि डालते पावन धरती पर,
धोखेबाजी नस नस में तेरे पैरों से कुचले जाओगे।।
बड़बोली बन्द करो कीड़े मकोड़े खाने वालों,
मानवता के दुश्मन तुम करोंना फैलाने वालों।
विस्तारवाद की नीति तुम्हारी तुमको ही ले डूबेगी,
गलवान हमारा है हमारा रहेगा नापाक इरादे वालों।।
देश की सम्प्रभुता से समझौता कायर करते हैं,
हिन्द के वासी राणा के वंसज जान न्योछावर करते हैं।
दोस्तो के दोस्त हैं हम दुश्मन के काल बन जाते है,
आँख दिखाने वालों की आंख निकाला लिया करतें हैं।।
चीन तूने!आरम्भ देखा है प्रचण्ड वेग अभी बाकी है,
प्रबल वेग से खनेकेगी जब तलवारे धङकन रुक जाएगी।
धरती से अम्बर तक गूँजेगा जब हर-हर महादेव का नारा,
तेरे लहू की प्यासी,माँ भारती की प्यास बुझाई जाएगी।।
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उर्मिला सिंह
वाह! बेहतरीन सृजन।बहुत ओजपूर्ण।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशुक्रिया ओंकार जी।
Deleteराणा के वंशज....
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना...
वीर रस और ओजस्वी ...
सामयिक ...
💐💐
वाह बहुत सुंदर रचना दी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी
Deleteचीन तूने!आरम्भ देखा है प्रचण्ड वेग अभी बाकी है,
ReplyDeleteप्रबल वेग से खनेकेगी जब तलवारे धङकन रुक जाएगी।
धरती से अम्बर तक गूँजेगा जब हर-हर महादेव का नारा,
तेरे लहू की प्यासी,माँ भारती की प्यास बुझाई जाएगी।
वाह!!!
बहुत ही प्रेरक जोशपूर्ण लाजवाब सृजन।
आभार आपका।
Deleteमन के सभी भाव देश के दुश्मनों के प्रति गहरी नफरत और देशवासियों में वीरता को आह्वान करती ओजमय अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिय कुसुम।
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