Friday, 24 July 2020

बारिष की फुहारें.... बचपन की यादें...

बारिष का मौसम 
कागज की नाव,
ढूढू कहाँ बचपन ,
वो बचपन का गाँव!

सपने  हुवे जवाँ 
बचपन भूलता गया,
गुड़ियों  का संग  भी 
 छूटता गया!

दुनियाँ के झमेले में 
ऐसे गुम हुवे
बस  सफ़रे जिन्दगी 
तय करते रहे!

देख बूंदों की झड़ी
यादों में कोंध जाती
पेड़ की शाख़ों पर 
पड़ी झूले की कड़ी

मन करता बच्ची बन 
बारिष में भिगूँ......
समझाए कोई मुझको
मन को कैसे मैं रोकूँ!

भीगना गिर के उठना
छपाक-छपाक खेलना
भुलाये नही भूलती ...
वो मीठी फुहारें
सतरंगी बहारे
वो कागज की कश्ती...
वो गलियों की नदिया।।
 
   उर्मिला सिंह
 

           

               
               
               
               
               



















12 comments:

  1. बहुत सुन्दर।
    आप अन्य ब्लॉगों पर भी टिप्पणी किया करो।
    तभी तो आपके ब्लॉग पर भी लोग कमेंट करने आयेंगे।

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  2. ह्रदय तल से धन्यवाद मान्यवर।

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  3. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 27 जुलाई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी हमारी रचना को शामिल करने के लिए।

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  5. बचपन की यादें दिलाती सुंदर रयना।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुजाता प्रिय जी।

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  6. सुंदर अभिव्यक्ति

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनिता जी।

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  7. बहुत सुंदर सरस सृजन है दी मनभावन।

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    1. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय कुसुम जी

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  8. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति दी

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    1. ह्र्दयतल से धन्यवाद प्रिय अनुराधा चौहान जी।

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