Tuesday, 25 June 2019

ख़ुदा जाने.....

आज न श्रद्धा रही न चरित्र रहा और न ज्ञान कहने का अर्थ यह नही कि लोग अज्ञानी हैं परन्तु आज ज्ञान रहने के उपरांत भी चरित्र की कमी के कारण ज्ञान अज्ञान में बदल जाता है। इसी को इंगित करती रचना .....
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कब्र में पावँ हैं जिनके,हसरतें मचल रही है
अंजाम क्या होगा उनका ख़ुदा जाने ।

हर तार दिल का जख्मी है यहाँ ,वीणा वादनी
ताल सुर में गीत कैसे निकले,ख़ुदा जाने।

हर रोज सूरज निकलता कोरे पन्नों के संग है
नफ़रतों के दौर में मोहब्बत कैसे लिखे ख़ुदा जाने।

ढलती शाम में,आफताब मायूस होने लगा
बहाये चाँदनी आंसू ,शब गुलजार कैसे होखुदा जाने।

चरित्र नाव, ज्ञान पतवार,भवसागर पार करने की
भूल बैठा इसी को इंसान सागर पर कैसे हो खुदा जाने।
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              🌷उर्मिला सिंह

3 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २८ जून २०१९ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  2. स्नेहिल धन्यवाद प्रिय श्वेता मेरी रचना को शामिल करने के लिए।

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  3. बहुत सुंदर रचना दी

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