Sunday, 23 June 2019

जीवन क्षणभंगुर है फिर भी मोह माया के बंधन में पड़ कर अनन्त को भूल जातें हैं ।

मोह माया के बंधन से किसी विधि छुटकारा होय......

प्रीतम भेज दियो बाबुल देश ! 

ज्ञान गठरिया सिर पर रख दीन्ही,
बहु  विधि  समझायो   मोहि ...
नगरी अँधेरी न दिया ना बाती ,
समझ न आवे दिन  अरु राती ।

नव दस मास आवन में लाग्यो ,
दारुण   दुसह   दुख      होय. ।
अखियाँ  खोलत  इत  उत देखूं  ,
  भायो बाबुल  आँगन  मोह ...!

  पाय  प्रलोभन सुधि मोरि  बिसरी ,
  धरम - करम   सब  भूल  गई ।
  भूली ज्ञान  की   गठरी अरु--
  भूल गई प्रियतम का देश......!!

   मोह  माया में  फसी  चिरैया,
, बिसर   गयो   पिया  का  देश।
   आयो जब मोहे पी का बुलावा....,
   बाबुल  का  घर हुवा  विदेश...।।

  
   साज  समाज पिया ले आयो
   देखत जियरा धक धक भयो
   छुटल  गांव नगर,महल अटारी
   रोवत भाई बन्धु महतारी.....!!
  
   चार कहार मिल पालकी उठायो
   त्राहि  त्राहि  मैं नाथ पुकारों...
   बहियाँ पकड़ मोहें पार लगावो
   तुम बिन अब कौन सहाई होय...!!

  
                               🌷उर्मिला सिंह
  
   
    
                                       

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