Monday, 24 June 2019

कतरा कतरा अश्क ढुरे रातों की तन्हाई में

रातों की तन्हाई......

कतरा कतरा अश्क ढुरे ,रातों की तन्हाई में!
चाँद भी छुप छुप आये जीवन की तरुणाई में!!

इश्क निगोड़ी दस्तक देती ख्यालो की अमराई में,
अहसासों पर पहरे बैठे आँगन की चारदीवारी में!!

ख़ामोशी की भाषा समझाये कैसे निर्मोही को,
मीत!खटखटाये सांकल प्रीत की बरजोरी में!!

बहती बयार ,संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,
भूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!

मन दूर दूर उड़ता है ख़्वाबों की ऊँचाई  में ,
धरती दिखती नही सपनों की कहानी में!!
                  ****0****
                               🌷उर्मिला सिंह




2 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन

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    1. हार्दिक धन्यवाद भाष्कर जी

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