Friday, 28 June 2019

वर्षा की मीठी फुहारों को देख कृषक मन झूम उठा अब अन्न से घर भरेगा ,सोचे हुवे सपने साकार होंगे....

बरखा रानी झूम के बरसो......
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छमछम बरसे मेघा मिटी धरा की प्यास! 
हर्षित मन किसान का छेड़े मोहक तान !!                                         

अन्नदाता आस लगावे जोड़े प्रभु का हाथ
अबकी अन्न भरो दाता घर आँगन की शान

पिछले कर्ज चुकाय बेटी का करूँ विवाह
धनिया को खरीद सकूँ धानी चुनर इस बार!!

ताल तलैया भर उठे धुले धुले हर पात!
नदिया यौवन गर्विता चली सजन के पास!!

बारिष में बच्चे खेल रहे छपाक छपाक!
जलकी रानी इतराय रही जल की देख बहार!!

नारी मन विह्वल हुवा महकी सावनी बयार!
पायल चूड़ी कंगना खनकें,झूमे झूले से डार!!

बिरही नैना सोच रहे कब आवेंगे पिय मोर!
रात अँधेरी दामिन चमके रहि रहि देखूं द्वार!!
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                                       🌷उर्मिल सिंह       








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