Saturday, 15 June 2019

पिता बच्चों के लिए धूप में छाया की तरह होता है।

पिता....शीतल छाया.......

चाँद सा शीतल  तपता सूरज है पिता
अंगुली पकड़ चलना सिखाता है पिता
संघर्षों में  दीवार बन सामने खड़ा रहता
बच्चों के वात्सल्य का बिछौना है पिता!!

शेष रह जाती हैं  स्नेह की स्मृतियां
रक्षाकवच बनता है आशीर्वाद उनका
ढूढती है नजर, हौसले से लबरेज आंखे
जिससे छलकता था प्यार का समंदर उनका!!

               🌷उर्मिला सिंह


1 comment:

  1. सुंदर और सार्थक प्रस्तुति दी

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