व्यथित कलम की पुकार.......
इस दरिंदगी को कहो हिन्दवासियों क्या नाम दोगे
मिट चुकी इंसानियत को तुम्ही कहो क्या सजा दोगे
पर निकल भी नही पाये थे कतर दिया दरिंदें ने
ह्र्दयवेधती चीख़ों का तुम्ही बताओ क्या न्याय दोगे!!
चुप क्यों हो,देरी क्यों फैसलेमें ,मांगती ही न्याय गुड़िया
दया के चन्द शब्दों से क्या "मेरा" अर्पण तर्पण करोगे ?
रौंद कर रूह उसकी कयामत तक नही चैन पावोगे.....
आवाजें बुलन्द हो , कि न्याय मांगती है गुड़िया!!
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🌷उर्मिला सिंह
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