इन्सानित.....आखिरी सासें गिन रही...
धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही....
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हैवानियत के आगोश में इंसानियत दम तोड़ रही
आजकल धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही
फैला है जाल ऐसा आत्मा कलुषित हो रही
सौहार्द हो रहा विलुप्त क्रूरता जडे जमा रही
धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही....
क्रोध,ईर्ष्या,द्वेष,व्यभिचार आक्रामक हो रहे
क्षमा शील ह्रदय ,आज सूखी नदिया हो गये
बिक रहा ईमान चन्द सिक्को में यहाँ
प्रेम विहीन जीवन आज श्रीहीन बनते जा रहे
धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही....
रोक लों अभी भी क्रूरता के मनहूस सायें को
मन को छलनी कर ,लील जाएगी मानवता को
शैने-शैने मानव आदी हो गा इस कुकृत्य का
खून की नदियाँ बहेगीं होगा नृत्य व्यभिचार का
धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही.....
दया धर्म करुणा का नामो निशान मिट जाएगा
बहती करूणा की नदी आंखों में सूख जाएगी
मछेरे जाल फैलाएं गे मछलियाँ तड़ फड़ाएं गीं
होगा हथियारों का बोल बाला,सहमी हर कली होगी
इस विकराल दानव के मुंख में इंसानियत मरती रहेगी
धीरे धीरे एक आहट सुनाई दे रही......!!
# उर्मिल
ये सब हॉग कैसे ... इसके लिए रयास करना होगा ... प्रयास के लिए साझा सहमती होनी और रास्ता तय होना होगा ... अभी तो जानवर बनने की होड़ है बस ...
ReplyDeleteआपके मन के संवेदनशील मानवता को प्रणाम है ...
हार्दिक धन्यवाद मान्यवर
ReplyDeleteरोक लों अभी भी क्रूरता के मनहूस सायें को
ReplyDeleteमन को छलनी कर ,लील जाएगी मानवता को
शैने-शैने मानव आदी हो गा इस कुकृत्य का
खून की नदियाँ बहेगीं होगा नृत्य व्यभिचार का... बहुत सुंदर और सटीक प्रस्तुति