Sunday, 16 June 2019

तन्हा.....तन्हा.....

साथ है  जहाँ , पर चल रहा  दिल  तन्हा तन्हा,
जख्मों का कारवाँ चल रहा दिल तन्हा तन्हा!

जो फ़रेब खाये हमने गिला उसका क्या करें
थी इनायत अपनो की संभाला दिल तन्हा तन्हा

चाँद तन्हा,आसमाँ  तन्हा सूरज  भी है तन्हा तन्हा,
दिल मिला कहाँ किसी का,सारा जहाँ  तन्हा तन्हा!

आवारा बादलों सा धुमड़ता रहा ख्याल अपना,
सपने भी कहाँ अपने,छोड़ जायेंगे हमें तन्हा तन्हा!

दूर  बहुत  है मन्जिल, धुंधले हुवेे मंजर सारे,
चिरागों की लौ थरथरा रही तन्हा तन्हा!!

वादों की पालकी पर बैठा  दिल  टूटता रहा सदा
जुगनुओं का आसरा  दिल ढूढता रहा तन्हा तन्हा!
                    *****0*****
            .                              🌷ऊर्मिला सिंह
      



8 comments:

  1. बेहतरीन रचना दी

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    1. धन्य वाद प्रिय अनुराधा

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  2. वाह !बेहतरीन सृजन दी जी
    सादर

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  3. वाह बहुत सुन्दर दी हृदय को छूती रचना।

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  4. वाह बेहतरीन रचना।

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    1. धन्य वाद सुजाता जी रचना पर प्रतिक्रिया देने के लिए

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