Saturday, 14 December 2019

राग अनुराग की राहों में.....

राग अनुराग की राहों में  न जाने कितने मोड़ हैं,
गुणा भाग करके भी समझ न आया जोड़ है।

काली घटाओं के इशारे अम्बर क्या समझे,
बिन बरसे चली जाए कब इसका न कोई जोड़ है।

माना की सूरज का उजास दुनिया में बेजोड़ है,
नन्हे दीपक को न भूलिए साहिब सूरज का तोड़ है।

ढाई अक्षर प्रेम का  कह गये दीवाने सभी,
सिन्धु की गहराई भी  प्रेम गहराई के आगे गौण है।

रिस्ते दिल की आवाज से बनतें और बिगड़ते हैं,
इतना न मगरूर होइये ज़नाब आगे टूटन का मोड़ है।

सत्ता की भूख दावाग्नि सी फैली है ,अपने देश में
भूख की ज्वाला हवन हुई,मची हुइ कुर्सी की होड़ है।
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                    उर्मिला सिंह 



                    🌷उर्मिला सिंह

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