Monday, 2 December 2019

मन ही मन उसे पुकारूं.....

मन ही मन में उसे पुकारूँ
रूप सलोना हृदय बसाऊँ
बिन उसके जीवन बेकार
क्यू सखि साजन?न सखि माधव!!

नित्य वही मुझे उठाये
मन में प्रकाश पुंज भर जाए
उन बिन सर्वत्र अँधेरा छाये
क्यूँ सखि साजन?न सखि भानू!!

उससा रूप न कोई दुजा
देखत मन प्रेम में भीगा
प्रेम की नगरी का है राजा
क्यूँ सखि साजन?न सखि चन्दा!!
                  # उर्मिल

7 comments:

  1. पम्मी जी,
    हार्दिक धन्य वाद रचना को पांच लिंको का आनंद पर स्थान देने के लिये!

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  2. वाह!!!
    क्या बात... बहुत सुन्दर।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी

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  3. वाहहहह!! दीदी बहुत खूबसूरत प्रस्तुति 👌👌

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    1. स्नेहिल धन्य वाद प्रिय अनुराधा

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  4. वाह दी बहुत सुंदर सृजन है आपका।कह मुकरियां !!पर ।

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    1. बहुत बहुत धन्य वाद प्रिय कुसुम

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