समय की रेत पर...
जाने कितने निशाँ हमने पाये ;
कुछ मिट गये .....
कुछ को हमने मिटाये !
ज़िन्दगी के ..किताबों से.....
यादों के फेहरिस्त में......
कुछ एहसास रख्खे ....
कुछ अल्फ़ाज़ हमनें मिटाये !
उम्र बीतती है ... पर् .....
कारवाँ ख्वाहिशों का रुकता नहीं .....,
कुछ मिट गईं हसरते....
कुछ वक्त की रेत ने दबाए !
समय के ! गुलाम है हम सभी ......,
इसके पहियों में ..बंधे घूमते ही रहे..!
समय मुठियो से फिसलता रहा.....
हम देखते रहे....
छल कते आशुओ को.....
.रोकते रहे, बस रोकते रहे !!
#उर्मिल
No comments:
Post a Comment