Friday, 6 December 2019

समय की रेत पर.......

समय की रेत पर...
जाने कितने निशाँ हमने पाये ;
कुछ मिट गये .....
 कुछ को हमने मिटाये  !

ज़िन्दगी के ..किताबों से.....
यादों के फेहरिस्त में......
कुछ एहसास रख्खे ....
कुछ अल्फ़ाज़ हमनें मिटाये !

उम्र बीतती है ... पर् .....
कारवाँ  ख्वाहिशों का रुकता नहीं .....,
कुछ मिट गईं हसरते....
कुछ वक्त की रेत ने दबाए !

समय के ! गुलाम है हम सभी ......,
 इसके पहियों में ..बंधे घूमते ही रहे..!
  समय  मुठियो से फिसलता रहा.....
    हम देखते रहे....
  छल कते आशुओ  को..... 
  .रोकते रहे, बस रोकते रहे !!
  
 
                                #उर्मिल
 

                  

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