हम भी कैसे दीवाने थे उनकी यादों में
कब सूरज डूबा कब शाम हुई कुछ याद नही
प्रीत की रीत निभाई दिल ने ऐसी
कब दिल टूटा कब अश्क झरे कुछ याद नही!!
मोह भ्रंम में पड़े रहे पर टूटे रिश्ते जुड़े नहीं
अन्धी प्रतीक्षा की कब आस टूटी कुछ याद नही!!
दीपक सा ता- उम्र जलते ही रहे ,चलते ही रहे
कब शमा बुझी कब रात ढली ,कुछ याद नही!!
*****0*****
🌷उर्मिला सिंह
"कब दिल टूटा कब अश्क झरे कुछ याद नही"
ReplyDeleteबहुत खूब
धन्य वाद मान्यवर
ReplyDelete