सागर तट पर खड़े खड़े मन उसकी गहराइयों को देखता और सोचता है कितनी समानता है मन और सागर में ,लहरे बार बार किनारों को छूने का प्रयास करती है और लौट जाती हैं परन्तु हार नही मानती मनुष्य को भी प्रेणना लेनी चाहिए लहरों से........
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राहों में
कठिनाइयों से
घबड़ा कर,
सघर्षों से हार कर
लड़खड़ाते कदम,
ठोकर खाते हैं,
सम्भल नही पाते।
सागर से सीखो
किनारों के
स्पर्श को ब्याकुल
लहरें बार -बार
प्रयास करती हैं।
तुम भी जीतोगे।
मायूसियों को,
हौसलों से-
बार-बार के -
प्रयासों से।।
#उर्मिल