नारी अस्मिता पर चोट कब तक???
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जीवन उपवन इतना सूना क्यों है
राहों पर इतना सन्नाटा क्यों है
सहमी सहमी डरी डरी कलियां ....
उजालो के घर अँधेरा क्यों है।।
जिस देश में कन्या पूजी जाती है
नारी गृहलक्ष्मी की उपाधि पाती है
जहाँ गंगा के सम सकल वश्व में जल नही
वहां नरभक्षी दैत्यों से अपमानित होती है।।
कागज के पन्नों पर कानून लिखे रह जाते हैं
नेताओं के वादे वोटों तक सीमित रह जातें हैं
सहन शक्ति की भी सींमा होती है नेताओं सुन लो
जनता न्याय करेगी जब रोक नही पाओगे सुन लो।।
हर धर्म हर पार्टी नारी सुरक्षा की बातें करती है
फिर कथनी करनी में फर्क भला क्यों करती है
इंसानियत,नैतिकता का पाठ क्या तुमने पढ़ा नही
समस्त नारी आज आप सभी से पश्न यही करती है।।
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उर्मिला सिंह