एक ख्वाईश....पागल मन की।
बारिष -बादल
सावन -झूले
सुहानी हवा
माटी की सुगंध
फूलों की खुशबू
पूरी कायनात महक उठे।।
एक ख्वाइश -पागल मन की।।
इंद्रधनुषी -अम्बर
विश्वाशों का सफर
अनन्त की प्रार्थना
बारिश की बूंदे
अन्तर्मन के भाव
विभोर तन मन
नयन कोरों से
छलकते अश्क
एक ख्वाइश -पागल मन की।।
कुछ शब्द
यादों के पिंजरे से
तस्वीर बन
सामने आते
बीते वक्त के अहसास
सुरीले गीत के स्वर
गूंजते वादियों में।।
एक ख्वाईश - पागल मन की।।
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उर्मिला सिंह