प्रथम - पाती ....!!
पात पात हर्षित....
मन- सुमन खिल उठे !
प्रिय! पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी... !!
बिन बसन्त के मन,
हो बसन्ती झूमने लगा !
ह्रदय उद्गार पवन संग.. सन्देश भेजने लगा..!
अधखिली कलियाँ भी अंगड़ाई लेने लगीं...!!
प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!!
प्रेम पिपासा अधरों पे आकुल...
वीणा बजाती यामनी हो के व्यकुल...
मिलन के स्वप्न उनींदी आंखें सजाती...!
प्रिय!पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!!
शब्द-शब्द प्रीत रंग में रंगने लगे...
शून्य में खोए सुर,आलाप
आज फिर से स्वर साधने लगे.......!
प्रिय ! पढ़ी जब हमने प्रथम पाती तुम्हारी ...!!
बदली नज़र आने लगी दुनियाँ ये सारी....
बजती हो जैसे चहुँओर शहनाई...
सांसों में कम्पन,धड़कने रुकने लगी.....!
प्रिय!पढ़ी जब हमने ,
प्रथम पाती तुम्हारी ...!!
....उर्मिला सिंह