बात दिल की कभी होठो पे लाई न गई ,
हम उसी के हैं , उसी से बताई न गई !
रात , सिरहाने बैठी थपकियाँ देती रही ,
आंखों से पल, एक पलकें झपकाई न गई !
उसे सौगात मैंने चंद्रिका की रोशनी दे दी
जुगनुओं की रोशनी उससे भिजवाई न गई !
जन्म जन्म से परीक्षित सीता ही होती रही ,
केचुली अभिमान की उससे हटाई न गई !
भाव शब्द गीत उसी में समाहित हो गये मेरे
गीत मेरे रातरानी से ,उससे महकाई न गई !
#उर्मिल