Thursday, 11 January 2024

भारत माँ का मुकुट हिमालय है 

तो हिंदी मस्तक की बिंदी ।

पहचान हमारी अस्मिता हमारी 

अभिमान हमारा है हिंदी ....

।हिंदी  भाषा के विकास का इतिहास भारत में आज का नहीं सदियों पुराना है । भारत की राज भाषा हिंदी,विश्व की भाषाओं में अपना एक महत्वपूर्ण  स्थान रखती है।

हिन्दी भाषा को जानने के लिए यह जानना परम आवश्यक है कि हिन्दी शब्द का उद्गम कैसे हुआ ।

हिंदी शब्द संस्कृत के सिन्धु शब्द से उत्पन्न हुआ है।

और सिंधु , सिंध नदी के लिए कहा गया है।

यही सिंध शब्द ईरानी भाषा मे पहले हिंदू, फिर हिंदी और बाद में हिन्द के नाम से प्रचलित हुआ और इस प्रकार हिंदी का नामकरण हुआ ।

हिंदी का उद्भव संस्कृत से हुआ जो सदियों पुरानी और अत्यंत समृद्ध भाषा है। और इसी संस्कृत भाषा से हमारे वेद ,पुराण,मन्त्र आदी प्राचीन काव्य और महाकाव्य लिखे गए हैं।

हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है जिसे विश्व मे सबसे अधिक वैज्ञानिक माना गया है ।

हिंदी साहित्य का क्षेत्र बहुत ही परिष्कृत और विस्तृत है।

साथ साथ  हिंदी व्यवहारिक भाषा है। बच्चा जन्म लेने के

पश्चात सर्व प्रथम माँ शब्द का ही उच्चारण करता है ।

हिंदी भाषा में प्रत्येक रिश्तों/सम्बन्धों के लिए अलग अलग शब्द होते हैं।जबकि अन्य किसी भाषा में ऐसा नहीं मिलता।

हिंदी भाषा की 5 उप भाषाएँ हैं तथा कई प्रकार की बोलियाँ प्रचलित हैं। आज कल इंटरनेट पर भी हिंदी भाषा का बाहुल्य है। हिन्दी ऐसी भाषा है जो हमें सभी से जोड़ने काप्रयत्न करती है । हिंदुस्तान के हर प्रदेश में हिंदी भाषा बोली जाती है भले ही टूटी फूटी क्यों न हो ।

विश्व में सबसे ज्यादा बोलने वाली भाषा हिन्दी ही है।ऐसा मेरा मानना है।

युग प्रवर्तक भारतेन्दु हरीश चंद्र जी ने हिन्दी साहित्य के माध्यम से नव जागरण का शंखनाद किया।

उन्होने लिखा:

 "निज भाषा उन्नति है,

 सब उन्नति का मूल।

 बिनु निज भाषा ज्ञान के,

 मिटे न हिय का शूल ।"

 हमारे देश का दुर्भाग्य रहा है कि हिन्दी भाषा का जो स्थान होना चाहिए वो आज तक हिंदी भाषा को प्राप्त न हो सका।

 अतएव आप सभी से अनुरोध है कि जितना हो सके हिंदी भाषा के विकास हेतु कार्य करें।

 किसी भी देश की मातृ भाषा उस देश का श्रृंगार/गौरव होता है अतएव उस श्रृंगार को निरंतर सजाते संवारते रहें।

 जितना भी हो सके हमलोगों को हिंदी के विकास के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।

 हिंदी भाषा हमारी पहचान है, हमारी आन -बान- शान है।

 धन्यवाद...

 जय हिंद   .

 जय भारत...।।

                     .....   उर्मिला सिंह 

Monday, 8 January 2024

जिन्दगी ....आसूं.....हंसी

जिन्दगी की परिभाषा....बस यूं ही

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नित नए अनुभवों से गुजरती है

नयन  नीर से सींचत करती है

हृदयांकुरों को प्लवित पुष्पित करती 

बस स्वयं से ही नही मिल पाती है।

ये कैसी दुनिया में सांसे लेती है  जिन्दगी 

तूं सभी की है पर तेरा कोई नही है।।


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आसूंओं की कहानी .....

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होठों पर हसीं आंखों में पानी....

बस इतनी सी है तेरी जिंदगानी

खुशियों से भरी निकलती हैं जब तूं....

 दुनिया सारी हंसती है.......

 गम के अंधेरे में छुपाती है

 बहलाती है,समझाती है स्वयं को...

 झरते हैं  तब ,ये जब सारी दुनिया सोती है.....

 तेरी कद्र करे कोई......

 ऐसी कोई हस्ती ,दुनिया में नही मिलती।।

 

  

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हंसी .....

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 तूं भी क्या कमाल करती है

 कितने गुणों को स्वयं में समेटे है

 कभी बच्चों से खिलखिलाती

 कभी फीकी मुस्कुराहट से 

दिल के हाल बताती.....

कभी दोस्तों के साथ ठहाको में मस्ती

कभी आंसुओं से आंचल भिगोती

 अनेक रूपों के लहरों में बहती

हर हाल तूं सभी का साथ देती

 जिन्दगी की कद्र तो सच कहूं....

बस एक तूं ही तो करती... बस तूं ही तो करती है।।

                🌷उर्मिला सिंह 🌷