Saturday, 28 March 2020

हम होंगे कामयाब एक दिन

बड़ी बड़ी चुनौतियों से गुज़रा है भारत देश, ये मुसीबत का दौर भी गुजर जायेगा... 

माना कि बेमौसम पतझड़ की बरसात हो रही है, एक दिन इसमें भी फूल खिल जायेगा! 

न हो उदास साथियों ये रात भी ढल जाएगी आश की किरणों से उजास हो जाएगा.... 

वक्त कब एक सा रहा है, भला सोचों ज़रा वक्त को भी. कर्मों से अपने इन्सान हरा जाएगा!! 

देश गुलजार होगा, हंसेगा नयन काजल, बजेगी पांव की पायल..... 
'माता की स्नेह वर्षा,तन मन आल्हादित कर जाएगा ! 

हिम्मत  देंगी  हमें  "माँ दुर्गा" , आस्था विश्वास राहें दिखाएंगी... 
इस विषम घड़ी से भी हम , एक दिन निकल जाएंगे!! 

 न हो उदास साथियों...... 
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                                                   उर्मिला सिंह 



Saturday, 21 March 2020

जिंदाबाद.......

जिंदाबाद - जिंदाबाद ऐ मिलावट जिन्दाबाद 
गरीबों की आहों से करती तूँ ख़ुद को आबाद 
जिंदाबाद - जिंदाबाद......... 

चीनी में चावल में और तूँ ही तूँ है मसालों में 
दालों में तेलों में और तूँ ही तूँ है पूजा के सामानों में 
तेरे दम से बनियों की दुकाने करती कितने जीवन बर्बाद 
जिंदाबाद - जिंदाबाद...... 

दवाओं में दुवाओं में दिखती है तूँ रिश्तों की कतारों में 
इश्क़ में ईमान में तूँ ही तूँ दिखती धरती से आसमान में 
बनावटी मुस्काने,बनावटी मन्दिर मस्जिद की अजाने 
श्रध्दा छुप हुई असत्य की गोद में भगवान भी कैसे सुने फ़रियाद 
जिंदाबाद -जिंदाबाद....... 

दूध दही में तूँ ही आसीन तूँ दोलतमंदो की पूजन अर्चन में 
नेताओं की बात मिलावट दोहरे आचरण के पैमानों में 
मिलावट की आँधी रुक न सकेगी कानूनी बाधाओ से 
देश के नर नारी आंखे खोलो नहीं तो हो जाओगे बर्बाद 

जिन्दाबाद - जिंदाबाद ऐ मिलावट जिन्दाबाद........ 

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                     उर्मिला सिंह 


Monday, 16 March 2020

औरत में धधकता महाक्रोश है....

जो कहना है कहो औरत में धधकता महाक्रोश है 
 
       औरत प्रेम वात्सल्य का सतत कोष है
        तो वह दुर्गा, चंडी का मुखर रोष भी है
        वह बिलखती रोती सीता सावित्री सलमा है
        तो बुझी हुई राख में छुपी हुई चिनगारी है 
        
   जो कहना है कहो वह गृहस्थ का मुक्त बोध है!!

          नारी अनुपम उपहार मनोहर प्रकृत का
          उसके हाथो से इंसानियत होती सिंचित
          सेवाभाव से भरा हुआ मन है जोशीला
          उसमें सिमटा बहू पुत्री का आदर्श है !! 

     जो कहना कहो औरत में धधकता महाक्रोश है!!
     
           कीट पतंगो सा जीवन उसे स्वीकार नही
           कुचली मसली जाए अब वो हालात नही
           उसमें महकता कस्तूरी का टुकड़ा है...... 
           नफ़रत का करती कभी वो व्यापार नहीं!! 
           
  जो कहना,कहो औरत में विनम्रअभिलाषाओं का कोषहै

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                             उर्मिला सिंह 
           

छोटी - छोटी बातें जब बन जाती यादें.....

छोटी _छोटी  बातें  बन जाती जब यादें
शबनमी बूँदी बन पन्नों पर बिखरती यादें!

नीले नीले अम्बर, तारों की छाँओं में तब--
लुका छुपी दिल में खेला करती मधुरिम यादें!

सुख- दुख के मधुमय धूप - छाँह में
पलकों के चिलमन में नृत्य किया करती यादें!

उन यादों की मीठी मीठी कितनी अभिलाषाएं
जीवन प्रांगण को चुप चाप चकित सुरभित करती यादें!

सागर की लहरों सी कलोल करती उर में
आहिस्ता-आहिस्ता जीवन तट से टकरा ओझल होती यादें! 
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                         उर्मिला सिंह.

Friday, 6 March 2020

नव युग की नारी हूं....

नव  युग  की नारी है पँखो  में उड़ान  भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के सांस लेने  दो!!

       अभी कुहरे को कुछ और छटने दो!
       अम्बर में कुछ तेज रोशनी होने दो!!
       अभी तो जंजीरों को खोले हैं हमने!
       विस्तृत गगन को जरा तो तौलने दो!!

नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!

      लगाये घात अनेको यहाँ बाज बैठे हैं !
      उनसे बचने के पैतरे भी सीखने दो!!
      पर कतरने को तैयार जल्लाद बैठे  हैं
      उन्हें सीख देने को खड्ग हाथ लेने दो
   

नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!

     समाज की अवहेलना सह जीते रहे सदा
     व्यंग वाणों से ह्रदय छलनी होता रहा सदा
     कलियाँ मसलती रही अहम हँसता रहा !
     अहम की गूंज का हथियार लेने दो जरा!!

नव युग कि नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
       
         ऋचाएं काव्य सभी आज झूठे हो गये!
         ‎तुलसी कालिदास जैसे भाव लुप्त हो गए!!
         ‎हमें सीख मत  दो सीता और राधा की!
         ‎हमें विरांगना बन जीने का आशीर्वाद दो!!

नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
सदियों बाद खुली  हवा में खुल के साँस लेने दो !  

          ऊँच नीच धर्म की राज नीत करतें हो सभी!
          ‎बलात्कार रेप धर्म की नही, नारी की होती!!
          कानून पुलिस सियासत सभी ख़ामोश होते!
          आँखो से अंगारे बरसते दरिंदे जब खुले आम घूमते !

    नव युग की नारी नव आसमाँ में उड़ान भरने दो!
    सदियों बाद खुली हवा में खुल के साँस लेने दो!
           ‎                                    
           ‎                                         #उर्मिला
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          ‎      ‎
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Sunday, 1 March 2020

रात. भी हो गई दुश्मन क्या करें........

रात भी  हो गई है दुश्मन क्या करें!
नींद आती नही ,पल एक क्या करे!!

सुधियाँ बैठी रही किये अनशन रात भर
फिज़ाएं खामोश,पुष्प भी मुरझाने लगे 
सही जाती नही, जिन्दगी की ये घुटन 
प्रीत भी होती रही ,घायल रात भर !!  

नीद आती नही ,पल एक भी क्या करें!!ओ0पी

चाँदनी सांकल खटखटाती रही बैचैन हो
तारिकाएँ भी बन गई बैरी, बता क्या करें!
अश्क से भरे नयन,याद आते रहे रातभर,
साँसों की रेजगारी ,शोर करती रही क्या करें

नींद आती नही पल एक भी क्या करे!!

बाँसुरी का स्वर, अनवरत गूंजता रहा,
पुरवाई लटों को छू ,दिलासा देती रही,
सागर की लहरें तरसती रहीं किनारों के लिए
स्वरों से  हो गई ,अनबन क्या करें !!

नीद आती नही, पल एक क्या करें!

तुम न आये दीप जलता रहा रात भर,
प्रतीक्षित नयन राह देखते रहे रात भर!
आशाऐं खंडहर होने लगी पल पल,
प्रीत की डगर,अंधेरा ही अंधेरा हो गया!
चाँदनी सँग मेरे सिसकती रही रात भर!!


नींद आती नही पल एक  क्या करें!
रात भी होगई है दुश्मन क्या करें !!
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                🌷 उर्मिला सिंह