शब्द शब्द रंग भरे
मस्ती छाई भावों में
उड़त गुलाल मन आंगन
सखि फागुन आयो रे।।
पलास पलास फागुन दहके
अधर रसीले प्रीत से छलके
सत रँगी रंग रँगी चुनरिया
अंगिया रँगी लाल चटकारे
सखि फागुन आयों रे....
सखि फागुन आयो रे...
गली गली भौरे मंडराये...
इत उत कलियां इतराये
लाल गुलाल कपोल लगे
शर्मीले नैना झुक झुक जाए रे...
सखि फागुन आयो रे......
महक रही बगिया सारी
बौराये आम की कोमल डाली
उड़े गुलाल लाल भये अम्बर
सतरंगी रंग प्रीत बन चहके
सखि !होली आई रे......
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उर्मिला सिंह