दास्ताँने इश्क सुनायेंगे आज सुनिये की न सुनिए!
हाले दिल सुनायेंगे,अश्फाक करिये की न करिये!!
जुर्में वफ़ा करतें हैं ,तेरी नफ़रत को आजमाएंगे!
दर्दे दिल सुनाएंगे ,इनायत करिये की न करिये !!
आईना बना के तुझको, रूबरू किया ज़िगर को!
तेरी तस्वीर है ज़िगर में सजाइये की न सजाइये!!
दर्द के अंधेरे रफ़्ता रफ़्ता आग़ोश में लेने लगे!
अब जिन्दगी में चाँदनी रात करिये की न करिये !
मुंतशिर हुवा ख़्वाबों का नगर ठहरे हुवे हैं गम!
अलविदा से पहले सलाम कबूल करिये की न करिये!
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🌷ऊर्मिला सिंह