बाइस्कोप वाला आया ....
तमाशे खूब लाया .....
क़दर दानों, मेहरबानों....
हिन्दुओं को सलाम, मुस्लिम को आदाब, बच्चों को प्यार, न धर्म न जाति सभी को तमाशा दिखाता......
तालियां बजाओ....
मुफ़्त का तमाशा देखने के तुम आदी...
इसी लिए तमाशा भी मुफ़्त में लाया....
कहो पसन्द आया... तो बजाओ ताली,
जय...जय... कलकत्ते वाली!!
बन्दर है न भालू......,
अठन्नी, चवन्नी न बनाता रोकड़ा...
सिर्फ सियासत का तमाशा दिखाता.........
क्यों कि नेताओं ने तुम्हें पक्का तमाशबीन बनाया..
बच्चे बूढे और जवान सब मुफ़्त में तमाशा देखो..
खाने में आइसक्रीम मिल रही मुफ़्त में बिरियानी...
हवा मुफ़्त, पानी मुफ़्त देते....
अक्ल पर पर्दा..डालते....
देखो- देखो नेताओँ का कमाल....
बन रहे माला माल....
शहादत का सबूत मांगे....
संवेदना दिल मे नहीं...
तुम हाँ में हाँ मिलाना.....
उनके कामों की जय बोलो...!!
जय काली कलकत्ते वाली....
तेरा वार न जाए खाली.....
इसी बात पर हो जाये ताली....!!
कुर्सी के लिए लड़ते नेताओं को देखो.....
नेताओं ने क्या किया....
उनको अपना स्वार्थ साधते देखो...
उन्हें कुर्सी चाहिए , वोट चाहिए.....
तुम तमाशबीनों से....!!
फिर तमाशे का सिलसिला शुरू हुआ...
जी भर के तमाशा दिखाया.....
इधर की टोपी उधर, इसकी कुर्सी उसको
पूरे साल सोते रहते कुंभकर्ण की नींद...!!
चुनाव करीब आते ही.....
खुल जाती नीद है...
फिर तो दनादन सुर्ख़ियों में आता एक पर एक फ्री..
शोर - शोर - शोर..... पर अब क्या होता है...
माला पहने नेता जी को देखो गर्व से हाथ हिलाते मुस्कुराते आते हैं....
गहरी मुस्कानों में छुपा हुआ मुर्ख बनाने का राज है..
जय बजरंग बली......
तोड़ दुश्मन की नली....
का नारा होता है....
जनता के पाले ठाला ही ठाला होता है ........!!
उर्मिला सिंह
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