जन जन की आवाज......
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नीद कहाँ उन आंखों में जो देश भक्ति का मतवाला हैं
विजय तृषा बढ़ती जाती देख के पाँवों का छाला हैं!
सुकून नही उसको तबतक अरि दहन न हो जबतक
उर में दाह कण्ठ में ज्वाला नित आगे बढ़ता जाता है !!
एक लक्ष्य है एक सफर एक ही मंजिल है उसकी
माँ भारती का शीश न झुकने दूंगा मन में ठाना है!!
सत्य का उज्ज्वल शंख उठा कर रहा हुँकार चतुर्दिक
तीर चुभें है तन मन में फिर भी शेर गर्जता जाता है
शक्ति विचारों की जीवन में सुख का नाम नही,
देश का यह वीर सपूत महा गठबंधन पर भारी है!!
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🌷 उर्मिला सिंह