Saturday 25 January 2020

वन्देमातरम.....

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हम देश भक्ति के गीतों को गुन गुना ले,
आज़ादी के ख़ूब नारे लगा ले;
भाषण के दो -चार पन्ने सुना दे,
पर होता नहीं कुछ इससे दोस्तों;
हिम्मत है तो कुछ कर के दिखा दो |
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याद करो शहीदों की कुर्बानयों को 
लिख दिया जिन्होंने अपने लहू से ,
आज़ादी की अनगिनित कहानियों को ;
उठो, जागो ,मिटा दो पनपते भ्रस्टाचार के नासूर को ।
देशभक्ति के आगे गौड़ है जिन्दगी भी 
ये सन्देश दो देश के हर बूढे बच्चे जवान को  !!!
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                                ? उर्मिला सिंह 

Friday 24 January 2020

एक तीली माचिस की........

एक तीली चिन्ता की
ख़ाक करती जिन्दगी
धुंआ उठता है....... 
आँखों में चुभता है.... 
अश्क बन आँखों से बहता.... 
एक तीली चिन्ता की...... 

एक तीली माचिस की 
जला कर दीपक..... 
उजास करता..... 
आरती के थाल में सजता 
आध्यात्म की लौ से 
मन ऊर्जा से ओतप्रोत करता 
एक तीली माचिस की..... 

एक तीली ईर्षा द्वेष की 
जलती सुख शान्ति जलाती 
वातारण दूषित करती 
दुर्गन्ध फैलाती..... 
ख़ुद जलती दूसरों को जलाती 
एक तीली ईर्ष्या की...... 

एक तीली संयम की..... 
सुगन्ध फैलाती...... 
प्रकाश उष्णता से...... 
तन मन सराबोर कर देती 
संयम की अग्नि में जल कर 
मन निर्मल पवित्र हो जाता 
एक तीली संयम की....... 

एक तीली देशभक्ति की..... 
जब भावों में जलती 
जिन्दगी गौड हो जाती 
देश प्रेम का जुनून उबाल लेता 
रक्त की शिराओं में देशभक्ति की 
झनकार बजती........ 
एक तीली देशभक्ति की...... 
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                                 उर्मिला सिंह 





 

Wednesday 22 January 2020

जिन्दगी....

साँस की सरगम पर गीत है जिन्दगी की 
बज रही है धुन कभी खुशी कभी गम की! 

मायूसियों से घबड़ाना क्या ,कांटों से डरना क्या 
खोज वो ठिकाना जहाँ चिंता न हो गम की! 

अजनबी से ख्वाब मेरे  हँस रहे आज मुझ पर 
क्या पता था उजालों में छांव मिलेगी ग़म की! 

जिन्दगी देके भी नहीं चुकते जिन्दगी के कर्ज कुछ 
पर वक्त बैठा कर रहा इशारा सुरमई शाम के ग़म की ! 

है न अज़ीब सी बात इस मुई जिन्दगी की..... 
अश्क आँखों में अधर पे गान जिन्दगी के नज़्म की!! 





Tuesday 21 January 2020

मौन.....

गिले शिकवे मन के  कुछ  तो कहो! 
मौन की  भाषा  कौन समझता यहाँ!!
फ़लक से ज़मी तक मौन होती यहाँ!
उदास आँखों मे नमी ,कुछ तो कहो!!

सरकती ज़िन्दगी  है  धीरे  धीरे यहाँ!
अपनी सासों में कैद है हर कोई यहाँ!!
ख्वाब  अजनवी  लगते है जब !
अधरों पर क्यो ताले लगे कुछ तो कहो!!

पत्थर की नगरी पत्थर हैं लोग यहाँ!
है इन्सानियत  मरती कदम कदम यहाँ!!
 वेदना सह कर भी होता है क्या!
मिटाते आस्तित्व  जिसके  लिए तुमयहाँ !
समर्पण समझते कहाँ लोग, कुछ तो कहो!!

जिन्दगी बीत जाती है  जिम्मेदारियों  तले
उम्र याद आती,दिखती चेहरे की झुर्रियाँ!
ख्वाबों की  सिलवटे  कहती  रहीं तन्हाईयाँ
कहते  कहते   भी  कुछ  कह  न  पाए  !
खामोशियों को बनाली जिन्दगी ,कुछ तो कहो!

सुकूँ की तलाश में स्नेह पौध सींचते रहे....
जिन्दगी फिसलती रही रेत की तरह हाथ से
हाथ आया न कुछ मगर अश्क पी, जीते रहे
सच जिन्दगी का यही है कौन किसका यहाँ
अधरों  पर  क्यों  ताले  लगे  कुछ तो कहो!!

                                #उर्मील
















Monday 20 January 2020

देश के सपूतों...

किसने सोचा था विपक्ष सड़कों पर उतर आएगा  
सत्ता के मोहपाश में बँध कर दुर्योधन बन जाएगा 
एक तरफ खड़ा है अर्जुन संकल्पों का तीर लिये  
दूजे तरफ खड़ा है दुर्योधन कुर्सी की चाह लिए !! 

भ्रष्टाचारियों ने हाथ मिला,झूठ का जाल बिछाया है
देश को  टुकड़ों में  करने  का भ्रम जाल फैलाया  है आव्हान है मात भारती का मिलकर राष्ट्र बचाने का 
ढूंढ निकालो उन गद्दारों को जिसने ये आग लगाया है!! 

 विद्यालय ज्ञान का मन्दिर है विपक्ष ने उसे ब्रह्मास्त्र बनाया भोली भाली जनता को, झूठ बता भ्रम का आतंक फैलाया 
पर सत्य भला कब छुपने वाला गद्दारों का मुँह होगा काला 
हिंद के सपूतों होश में आओ पुकार रहा तुम्हें,लहू शहीदों का मतवाला! 
 

अब न चलेंगी दुश्मन चालें तेरी, जनता जान गई सब 
पुकार रहीं माँ भारती फ़िर अपने वीर जवानो कोअब 
सिंहनाद कर आगे आओ समय पुकार रहा तुम सब को 
सत्य अहिंसा का परचम फिर से लहराना है तुम सब को 

अब न बटेगी रेवड़ी अंधों के हाथों सावधान युवाओं होना 
अब न वंशवाद चलेगा नहीं चलेगी देश में उनकी माया 
बहुत दिनों तक दूध मलाई खाए जो, होगा उनको पछताना 
सारी चालें विफल होंगी शर्मिन्दगी का बोझ उठायेगी काया 
अमर रहेगा भारत माँ का गौरव इतिहास नया लिख जाना!

                          🌷उर्मिला सिंह 

               

 

Thursday 16 January 2020

पतंग.....

जीवन का दर्पण देख रहा मेरा मन 
उड़ रहा उड़ रहा पतंग सा मेरा मन!  
  
       कभी इधर कभी उधर
       न जाने मंजिल किधर
       कभी उठूं कभी  गिरूं
       हौसले पे अपने ख़ुद!! 
       
..  मुस्कराता मेरा मन  मेरा मन 
 उड़ रहा  उड़ रहा  पतंग सा  मेरा मन!  
 
        रंग बिरंगे स्वप्न हैं  
        इन्द्रधनुष मन में है
   . . हर नजारें कह रहे 
       उमंग से भरे नयन 
       
   बहक रहा मेरा मन मेरा मन 
  उड़ रहा उड़ रहा पतंग सा मेरा मन!! 

         उम्मीदों की डोर से 
         जीवन का राग है 
         कट गयी,तो जमीन 
         नही तो.... 
         खिल खिलाता आसमान!! 
         
     जीवन की डोर में उलझता रहा मेरा मन
      उड़ रहा उड़ रहा पतंग सा मेरा मन!!
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                   उर्मिला सिंह 
              
              
          
         
             


                       🌷उर्मिला सिंह 

   
         







       
       
        



     
  
        
       

Wednesday 15 January 2020

ओ बदनसीबो......

ओ बदनसीबो  देश को नफ़रत की ज्वाला में मत झोंकों
है  ये  वतन तुम्हारा ग़र, तो मज़हबी बाणों से मत कोंचों
अनेकों बलिदानों की नीव पर  लहरा रहा तिरंगा प्यारा 
जयचंदों को अंजाम तक पहुंचाएगा नया भारत हमारा!! 
                      *****0*****
                        उर्मिला सिंह 

Wednesday 8 January 2020

दिन ब दिन विद्या का मन्दिर.......

दिन ब दिन विद्या का मन्दिर..... 
 
 सियासत के हाथों कठपुतली हो गई 
 दिन ब दिन देश भक्ति  बेसुरी हो गई
 माना कि जनतंत्र में अधिकारों की भरमार है
 पर कर्तव्य के पाठ पर क्यों मची हुई चित्कार है! 

सुप्त जानवर बसा है सियासत के इस खेल में 
युवावो के जज़्बातों से हर वक़्त खेलता खेल है 
नहीं चिन्ता सियासत को युवाओं के  भविष्य का 
सियासत भूल बैठी देश हित  कुर्सी के इस खेल में!! 

जल रही देश की संपत्ति जो देशवासियों की कमाई है 
विपक्ष ये विरोध नहीं,तुम्हारे मरते ज़मीर की कहानी है
कब तक छलोगे जनता को संविधान बचाओ की आड़ में 
कितना भ्रमित  करोगे जनता को तुम बापू के नाम से!! 
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                          उर्मिला सिंह

Monday 6 January 2020

फूलों का राजा.... गुलाब

जैसे अम्बर में चमकता आफताब  है!
गुलशन में फूलो  का  राजा  गुलाब  है!!

सुन्दरता की मिसाल बता तुझे क्या  दूँ  !
तिरी खुशबू का नशा छलकता जाम है!!

तुझसे प्रेमियों का गुलशन आबाद है!
प्यार का नज़राना खिलता गुलाब है!!

काटों  में  मुस्कुराहट  तेरी  बेमिशाल  है!
दर्द में जीने का हौसला तेरा होता कमाल है!!

तेरी पंखुड़ियों पे टपकते बादल के अश्क को!
मोती का खिताब देना लगता लाजबाब हैं!
                     ****0****

               🌷उर्मिला सिंह









Wednesday 1 January 2020

नववर्ष खड़ा है....

खुशियों का खज़ाना लिए नव वर्ष खड़ा है... 
 उम्मीदों का चमन  लिए नव वर्ष खड़ा है... 

बीते पलों को मन के कोने में छुपा के, 
नव संकल्पों से मन को सजा के, 
जिन्दगी में आगे बढ़ते रहें.... 
थके नहीं रुके नहीं
निरन्तर कदम आगे बढ़ते रहे ! 


नव वर्ष अपनी बाहें पसारे खड़ा है.... 
आने वाले दिनों को बेहतर बनाने खड़ा है! 

गुज़रे दिनों की त्रुटियों से सीख ले, 
कुछ ऐसा जतन करें.... 
न हो नफरत दिलों में किसी के.. 
ज़न ज़न को जागृत करें..... 

है आव्हान यही आज नव वर्ष का.....
नई भोर, नव आश लिए नव वर्ष  खड़ा है !

अब न हो मौत सस्ती.. 
राखी के धागे न टूटे किसी के... 
चूड़ियों की खनक सलामत रहे... 
माँ से बेटा  जुदा हो न कभी... 
संबन्धों की नई मिसाल कायम करे! 

मतभेदों को भुला, नव वर्ष का स्वागत करें.. 
दे रहा यही संदेश, नव वर्ष बाहें पसारे खड़ा है ! 

देश की हिफाज़त करना है कर्तव्य सबका.. 
सत्य अहिंसा  ही धर्म हो भारत में सबका.. 
नव निर्माण, नव विकास में सहयोग हो... 
खुशहाली से भरा आपना भारत देश हो! 

इसी सपने को साकार करना है अब हमें .... 
मिल जुल कर नव वर्ष का अभिनन्दन करना है हमें! 

वतन के ख़ातिर जिएं, वतन के ख़ातिर मरें... 
ये ज़ज्बा हो  दिलों में सभी भारतियों के.... 
नया भोर है, नया वर्ष है, 20,20 का दम दिखाएगा.. 
हर्षोल्लास के राग रंग में भारत अपना दम दिखाएगा!

फ़िज़ाओं में मोहब्बत ही मोहब्बत की खुशबू होगी... 
यही उपहार देने नव वर्ष बाहें पसारे खड़ा है !! 

                                            .. उर्मिला सिंह