Tuesday 24 August 2021

जग दो दिन का बसेरा....

मत घबड़ा रे मना......
  जग है दो दिन का बसेरा।
 
   जीत कभी तो हार कभी
लहराए कभी खुशयों का समन्दर
   हो जाय घनेरी रात कभी
      मत घबड़ा रे मना।।
      
    फ़ूलों की सौगात कभी
    कभी मीले राह में कांटे
    ये जिन्दगी की राह है प्यारे
    दिखे नही समतल राह यहां।।
       मत घबड़ा रे मना.....

   उड़ जायेगा एक दिन पक्षी
   जल जायेगी ये नश्वर काया
   रह जायेगी तकर्मों की गाथा
  जीवन बीत गया यूँ हीं. मिथ्या....।।
 
   मत घबड़ा रे मना.....
 ये जग है दो दिन का बसेरा।

  कौन है अपना कौन पराया
  समझ न पाया कोई यहां....
  जख्मों की आबादी है...
  लफ्जों में  है घाव यहां....।।

   मत घबड़ा रे मना......
ये जग है दो दिन का बसेरा....।।

     उर्मिला सिंह

Thursday 19 August 2021

सावन का गीत....मायके में सावन भादो में त्योहारों की झड़ी लगी रहती है ,लड़की को अपने मायके की याद आती है उसी भाव से रचित भोजपुरी रचना है।

सावन भदउवां  में तीज त्योहरवा ....
मनवा करे ला जाईं नैहरवाँ.....

गोरी गोरी कलैया ,हरी हरी चूड़ियां
हथेलिया पर रचैबे मेहंदी का बुटवा
धानी चुनरिया पहिन जाईं नैहरवा....
मनवाँ करेला जाईं नैहरवाँ......

लमवा से देखबे पिया गांव के खेतवा 
लहरात होइहे ओमा पिया हरे हरे धनवां
याद आवे पिया सखिया सहेलियां .. ...
मनवाँ करेला जाईं नैहरवाँ....

निबिया की डलिया ,डालल होइ झुलवा
संग क सहेलियां झूलत होइन्हे झुलवा
झीम झिम बरसत होइन्हे कारे कारे बदरा
कि.. मनवा करेला जाईं नैहरवा....

कजरी के गितिया गुंजत होई दुवरियाँ
मईया उदास कब आई मोर बिटियवा
दुवरे पर ठाढ़ बाबा देखे मोरी रहिया...

कि…मनवाँ करे ला.... जाईं नैहरवाँ
कि मनवा करे ला जॉइन नैहरवाँ......

        उर्मिला सिंह