उथली सतह से हासिल कुछ भी नही ज़नाब ,
हिम्मत है तो नीचे उतर मोती निकालिये जनाब!
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🌷ऊर्मिला सिंह
Thursday 30 August 2018
परिश्रम सफलताकी कुंजी है,
Wednesday 29 August 2018
मैं--तुम....
सुलझते उलझते
जिन्दगी गुजरती रही
कभी तुम रूठते
कभी हम रूठते
कभी हम झुकते
कभी तुम झुकते
जिन्दगी इसी फार्मूले
पर चलती रही
न जाने क्या था तुममे
न जाने क्या था हममें
मन के आकाश में,
एक साथ परिंदे से उड़ते रहे!
मनाते दुलराते
लड़ते झगड़ते
प्रेम सागर में डूबते रहे
उम्र का ये पड़ाव
युवाअवस्था से भी,
सुखद लगने लगे!
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🌷ऊर्मिला सिंह
Saturday 25 August 2018
आंखे----मय से छलकते दो प्याले होती हैं आँखे
मय के दो छलकते
प्याले होती हैंआंखे
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कई पोशीदा राज छुपाती हैं आँखे..
कई सवालों का जबाब देती हैं आंखे!
अनगिनत ख्वाब तैरते इन आँखों में..
मय के छलकते प्याले होती है आंखे !!
हर उम्र की परछाई दिखाती येआंखे..
ममता प्यार से लबरेज़ रहती हैं आंखें!
मोहब्बत,नफ़रत का गजब संगम है ये,
अना के वास्ते अंगार बनती ये आंखे!!
हया से झुकती जब अदा कहलाती हैं
जुबाँ कह न पाए,बयाँ करती हैं आंखे!
समन्दर से भी गहरे भाव सिमटे है इनमें..
दिल जीतने की कशिश रखती हैंआंखे !!
ग़जल है ,नगमा है ,गीत है ये आंखे..
पूजा है ,इबादत है ,प्रीत है ये आंखे !
शोखियाँ,अल्हड़ता जीने का सबब है..
जिन्दगी समेटे जिन्दगी की नूर हैंआंखे!!
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🌷उर्मिला सिंह
राखी के धागे...
राखी धागे ही नही बहन भाई के स्नेह,विस्वास के प्रतीक होतें हैं ,भावनाओं को कागज के पन्नो पर उतारने का एक प्रयास है.
दर्द का एहसास तो है,
पर गहरा नही!
आज भी तुम याद हो,
दिल के किसी कोने में !
हमारा बन्धन,
राखी के धगों से ऊपर,
स्नेह से ओतप्रोत,
खून के रिस्ते से भी मज़बूत,
अविरल बहता स्नेह था !
आज भी आंखे भर आती हैं
पर छलकने से डरती हैं !
न वाद न संवाद,
नेह की डोर,
कमजोर होती गई!
रिश्तों में अविस्वास की जड़ें,
मजबूत होती गईं !
राखी के धागे भी,
कराह उठे !
आज फिर न जाने क्यूँ ,
चल चित्र की भांति ,
भूले पल याद आरहें हैं ।
कल राखी का त्योहार ,
मनायेंगे सभी......
पर मैं.....
सदा की भांति,
नेह दीपक जला,
तुम्हारी लम्बी उम्र की,
कामना करूँगी !
सच कहतें हैं.....
वक्त हर घाव का मरहम होता
कल जो हकीकत था,
आज वही स्वप्न होता ....!
यही तो वक्त की ताकत है,
क्यों कि ....हम वक्त के
गुलाम ......होतें हैं !
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🌷उर्मिला सिंह
Tuesday 14 August 2018
ख्यालों की अमराई....
कतरा कतरा अश्क ढुरे ,रातों की तन्हाई में!
चाँद भी छुप छुप आये जीवन की तरुणाई में!!
इश्क निगोड़ी दस्तक देती ख्यालो की अमराई में,अहसासों पर पहरे बैठे आँगन की चारदीवारी में!!
ख़ामोशी की भाषा समझाये कैसे निर्मोही को
मीत!साकल खटखटाये प्रीत की बरजोरी में!!
बहती बयार संदिली खुशबू उसकी पहुँचा जाती,
भूली यादे छा जाती फिर मन की गहराई में !!
मन दूर दूर उड़ता है ख़्वाबों की उड़ानों में , यथार्थ की धरती दिखती नही सपनों की कहानी में!!
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🌷उर्मिला सिंह
Friday 10 August 2018
नमन भारत के वीर शहीदों......
जान वतन, अभिमान वतन ,जीने की चाह वतन है!
हर दिल में गूँज रहा सबसे प्यारा हिन्दोस्तान वतन है !
माँ भारती की सुन कर पुकार
जवानों के चल पड़ते कदम
तूफान राहें रोक सकती नही
पत्थरो - पर्वतों में कहाँ है दम !!
जान हथेली पर रख चल पडते वतन केमतवाले !हरदिल में गूँज रहा सबसे प्यारा हिंदुस्तान वतन है!
डर नही था जिन्हें बम- तलवार से,
वतन का दर्द भरा था दिलो,दिमाग में ,
कर गये निछावर जान वतन पर
कण कण में नाम रहेगा सदियों तक!!
वतन की मिट्टी का लगा टीका उनके भाल पर है! हर दिल में गूँज रहा सबसे प्यारा हिदुस्तान वतन है!
चमक फीकी पड़ी गई सूर्य की भी,
देख रक्तरंजित शरीर शहीद के,
धरा के अश्रु पूरित नयन गर्व से भर उठे,
तिरंगे ने आग़ोश में लिया लाल कोअपने!!
धन्य हैं जवान, हाथ में तिरंगा,अधरो पे जयकार है !
हर दिल में गूँज रहा सबसे प्यारा वतन हिदुस्तान है !
उनके जीवन में भी बहारें थी पर,
सपने आजाद देश की साँसे थी,
अग्निपथ वरण किया उन वीरों ने,
अमर होगये भारत के इतिहास में!!
उनके बलिदानों से भरी भारत की विजय दास्ताँ है!
हर दिल में गूँज रहा सबसे प्यारा वतन हिंदुस्तान है!
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🌷उर्मिला सिंह
Wednesday 8 August 2018
एक संदेश ----हिन्द के सपूतों के नाम !!
एक संदेश---हिन्द के सपूूतों के नाम !!
हाथ में मशाल हो..... ह्रदय में धधकती आग हो
अधरों पे मां भारती की जयकार हो ..........। रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो .....।
सामने तूफ़ान हो , पर ग़म नहीं ।
राह दुर्गम हो ,पर भटको नहीं ..... ....।
पत्थरों को तोड़ , राह तुम बना लो ,
रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो ......।
राना प्रताप के शौर्य की तुम मिशाल बनो ,
झाँसी की रानी के तलवार जैसी धार बनो , आज़ाद , भगत सिंह जैसे देश भक्त बनो,
रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो ......।
सोये देश वासियों में शेर की हुंकार भरदो ,
देश के गद्दारों को मौत का फरमान दो ।
छिपे विभिषडो को देश से निष्कासित करो । रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान ह.......।
शेर हो , गीदड़ भभकियों से डरो नहीं ।
शत्रु रक्त प्यासी माँ भारती को अरि मुण्ड दो । शहीदों की कुर्बानियों का क़र्ज़ तुम उतार दो । रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो .......।
करो ऐसा शंखनाद ,निकल पड़े बूढ़े बच्चे नौजवान ,
सर पर कफ़न बांध,दुश्मनो के हौसले पस्त करो टूट पड़ो महाकाल बन ,आज तुम हिन्द के सपूतों!
रुको नहीं झुको नहीं , देश पे कुर्बान हो ...........।
जय हिंद !!!
🌷उर्मिला सिंह
Tuesday 7 August 2018
धरती का स्वर्ग......
धरती का स्वर्ग हमारा कश्मीर......
यहाँ वादियाँ महकती केसरी फूलों से,
चिनारों के पत्ते सजे शबनमी बूँदों से,
रात अँधेरी झिलमिल करती झीलों के जेवर, स्वर्ग उतर आया हो जैसे कश्मीर में !!
यहाँ फिज़ाओं में घुली मोहब्बत,
यहाँ की ज़ुबा केसरी ,हैै खूबसूरत,
इंसाँ यहां जैसे फरिश्तों की हो बस्ती!
हसीं नजारें बरसते बर्फ के टुकड़े,
धरा का स्वर्ग हमारा कश्मीर....!!
सूफी संतों,बाबा ऋषि की दरगाह यहाँ
भजन अजान दोनो का दोस्ताना यहाँ
चारो तरफ फैला कुदरत का नज़ारा
भोले भंडारी शिव विराजमान यहाँ
वैष्णव देवी का पुण्य धाम यहाँ.....
धरा का स्वर्ग हमारा कश्मीर.....
पर हवा कुछ ऐसी गर्म हुई,
नफ़रत का ज़हर घुला हवावों में,
केसर क्यारी लहूलुहान हुई,
छा गई उदासी धरती के स्वर्ग में!
फिर भी दिल कहता बार बार,
धरती का स्वर्ग हमारा कश्मीर!
भारत का दिल हमारा कश्मीर!!
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🌷उर्मिला सिंह